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चाय_और_शायरी ( Dil ❤ Ka Sukoon )

टेलीग्राम चैनल का लोगो shayri_more — चाय_और_शायरी ( Dil ❤ Ka Sukoon )
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चैनल का पता: @shayri_more
श्रेणियाँ: कोटेशन
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 417

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नवीनतम संदेश 8

2022-10-10 05:41:47
"बरसात" में घुल रही है, महक "चाय"
की आज "बूंदों" को भी "चाय" की तलब
होगी...
44 views02:41
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2022-10-10 05:34:01
मैं ‘तुम्हारी‘ सुबह की #चाय बन जाऊँगी..

क्या ‘तुम‘ मेरी शाम का #समोसा बनोगे ?
43 views02:34
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2022-10-10 05:33:25 आधा ही मिल पाया हमको आधा
रहा उधार
तुम्हरा कटिंग चाय सा प्यार ..!!
42 views02:33
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2022-10-10 05:32:31 घाट पर बैठो तो सुबह से शाम हो जाए
आओ यारों #चम्बल की एक चाय हो जाए
43 views02:32
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2022-10-10 05:31:25 कभी दिल माने तो करना मुलाकात हमारे साथ,

सस्ती #चाय के साथ महँगी #यादें पिलाकर भेजेंगे..
43 views02:31
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2022-10-10 05:30:17 कभी चाय के साथ लड्डू - बर्फी खाये है..

मत खाना...

मैंने अभी खाकर देखे #चाय फीकी लगती है।।
45 views02:30
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2022-10-08 07:10:41 तुम्हारे गम से मैं धीरे धीरे निजात पा रही हूँ

मुरसद तुम भाड़ में जाओ मैं  समोसे खा

रही हूँ

54 views04:10
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2022-10-08 07:04:59
Ek वादा करो हाथों में हाथ दे दो ,

Tum बुढ़ापे की #चाय तक मेरा साथ दे दो
54 views04:04
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2022-10-04 18:59:30 साड़ी और जींस वार्तालाप


1 दिन जींस और साड़ी में हो गई तकरार
कहा साड़ी ने ठसक से -
मैं हूँ मर्यादा,परम्परा,संस्कृति-संस्कार
सौ प्रतिशत देशी
तू क्यों घुस आई मेरे देश में विदेशी
वैदिक काल से मैं स्त्री की पहचान थी
आन-बान-शान थी
घूँघट आँचल और सम्मान थी....
बेटियाँ बचपन में मुझे लपेट
माँ की नकल करती थीं
दसवीं के फेयरवेल तक
पिता को चिंतित कर देती थीं
उनकी पुत्री-कन्या भी
मुझे ही पहनती थीं
भारत माँ हों या हमारी देवियाँ
देखा है कभी किसी ने
मेरे सिवा पहनते हुए कुछ....
जब से तू आई है बिगड़ गया है
सारा माहौल
हर जगह उड़ रहा है
मेरा मखौल
बेटियाँ तो बेटियाँ
गुड़िया तक जींस पहनने लगी है
गाँव-शहर की बड़ी-बूढ़ी भी
तुम्हारे लिए तरसने लगी हैं
ना तो तू रंग-बिरंगी है
ना रेशमी-मखमली
फिर भी जाने क्यों लगती है सबको प्यारी
नए-नए फतवे हैं तुम्हारे खिलाफ
नाराज हैं तुमसे हमारे खाप
फिर भी तू बेहया-सी यहीं पड़ी है
मेरी प्रतिस्पर्धा में खड़ी है |

मुस्कुराई जींस -
बहन साड़ी मत हो मुझ पर नाराज
मैंने कहाँ छीना तुम्हारा राज
हो कोई भी पूजा-उत्सव
पहनी जाती हो तुम ही
सुना है कभी जींस में हुआ
किसी लड़की का ब्याह
फिर किस बात की तुमको आह
मैं तो हूँ बेरंग-बेनूर
साधारण-सी मजदूर
ना शिकन का डर,ना फटने का
मिलता है मुझसे आराम
दो जोड़ी में भी चल सकता है
वर्ष-भर का काम
तुम फट जाओ तो लोग फेंक देते हैं
मैं फट जाऊँ तो फैशन समझ लेते हैं
अमीर-गरीब,स्त्री-पुरुष का भेद मिटाती हूँ
कीमती समय भी बचाती हूँ
युवा-पीढ़ी को अधिक कामकाजी
सहज और जनतांत्रिक बनाती हूँ
सोचो जरा द्रौपदी ने भी जींस पहनी होती
क्या दुःशासन की इतनी हिम्मत होती ??
     

               

@rochak_baaten
124 views15:59
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2022-10-04 07:09:07 मेरी कांटों जैसी जिंदगी में फूल भर जाना

प्रिये तुम बर्तन धो लो फिर आंनलाइन आना...!!

124 views04:09
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