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नवीनतम संदेश 2

2022-06-16 15:23:19 युवाओं के लिए खुशखबरी

शारीरिक शिक्षक भर्ती 2022

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा PTI भर्ती 2022 की विज्ञप्ति जारी कर दी गई है।


कुल पद : 5546 पद

आवेदन : 23 जून से 22 जुलाई।

एक्जाम : सितंबर 2022

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2022-06-16 13:36:24 स्पेशल VDO MAINS EXAM 2021

प्रमुख देवियां ( राजस्थान)


1. छीक माता - जयपुर

2. छीछ माता - बांसवाड़ा

3.   हिचकी माता - सरवाड़ (अजमेर)

4.    अम्बिका माता - जगत (उदयपुर)

5.    क्षेमकारी माता- भीनमाल (जालौर)

6.     सुभद्रा माता -भाद्राजूण (जालौर)

7.     खूबड़ माता - सिवाणा (बाड़मेर)

8.     बाण माता - उदयपुर सिसोदिया वंश की कुल देवी

9.     नागणेची माता - नगाणा गांव (बाडमेर)

10.   बिखडी माता - उदयपुर

11.   सुंन्धा माता -सुन्धा पर्वत (जालौर)

12.   घेवर माता - राजसमंद

13.   चार भुजा देवी - खमनौर (राजसमंद)

14.   पीपाड़ माता- ओशिया (जोधपुर)

15.   आमजा माता - केलवाडा (उदयपुर)

16.   कुशाल माता- बदनोर (भीलवाडा)

17.   जिलाडी माता - बहरोड़ (अलवर)

18.   चैथ माता - चैथ का बरवाडा (स.धो)

19.   हर्षत माता - आभानेरी (दौसा)

20.   मनसा देवी - (चुरू)

21.   आवरी माता- निकुम्भ (चित्तौड़गढ) लकवे के रोगियां का उपचारकत्र्ता देवी

22.   भदाणा माता - कोटा

23.   भांवल माता - नागौर

24.   भंवर माता- छोटी सादडी (प्रतापगढ)

25.   सीता माता- बडी सादडी (चित्तौड़गढ)

26.   दधिमति माता- गोठ मांगलोद (नागौर)

27.   हींगलाज माता - नारलाई (जोधपुर)

28.   त्रिपुरा सुन्दरी माता /तरतई माता/त्रिपुरा महालक्षमी -तलवाडा (बांसवाडा)

29.   उन्टाला माता - वल्लभ नगर (उदयपुर)

30.   भद्रकाली माता - हनुमानगढ़

31.   मगरमण्डी माता - नीमाज (पाली)

32.   विरात्रा माता - बाड़मेर

33.   कुण्डालिनी माता- राश्मी (चित्तौड़गढ)

34.   जमुवाय माता-जमवारामगढ़ (जयपुर) कच्छवाह वंश की कुल देवी।

35.   धूणी माता -डबोक (उदयपुर)

36.   सेणी माता - जोधपुर

37.   बिजासणी माता - लालसौट (दौसा)

38.   सुगाली माता- आउवा (पाली)

39.   आसपुर माता - आसपुर तह. (डूंगरपुर)

40.   बडली माता-चित्तौड़गढ़ छीपों का अंकोला (बेडचनदी के किनारे)

41.   जोगणिया माता - भीलवाडा

42.   लटियाल भवानी -जोधपुर-कल्ला समाज की कुल देवी। इन्हे खेजड़अेरी राय भवानी भी कहते है।

43.   खोडिया देवी - जैसलमेर

44.   सीमलमाता- बसंतगढ़ (बाड़मेर)

45.   अधर देवी /अर्बुदा देवी - माऊंट आबू

46.   राणी भटियाणी - जसौल (बाडमेर)

47.   नगटी माता - जयपुर

48.   महामाई माता- रेनवाल (जयपुर)

49.   ज्वाला माता - जोबनेर (जयपुर) खंगारातो की कुल देवी

पोकरण वाली आसपुर माता बिस्सा समाज की कुल देवी है।


त्रिपुरा सुन्दरी पांचाल जाति की कुल देवी है।



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2022-06-16 13:36:24 भारतीय इतिहास

महत्वपूर्ण तथ्य

खानकाह - सूफी संतों का निवास स्थान
वलायत - आध्यात्मिक क्षेत्र
खल्क - सृष्टि
मुरीद - नवदीक्षित शिष्य
मुरीद, तालिब - विद्यार्थी
समा - सूफी खानकाह में होने वाले संगीत को समा तथा नृत्य को रक्स कहा जाता था।


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2022-06-15 14:50:43 राजस्थान में राष्ट्रपति शासन

1. प्रथम बार 1967

राष्ट्रपति :- सर्वपल्ली राधाकृष्णन
राज्यपाल :- डॉ. सम्पूर्णानन्द
मुख्यमंत्री :- मोहनलाल सुखाड़िया

2. द्वितीय बार 1977
राष्ट्रपति :- बी.डी. नत्थी (कार्यवाहक)
राज्यपाल :- वेदपाल त्यागी
मुख्यमंत्री :- हरिदेव जोशी

3. तृतीय बार 1980
राष्ट्रपति :- नीलम संजीव रेड्डी
राज्यपाल :- रघुकुल तिलक
मुख्यमंत्री :- भैरोसिंह शेखावत

4. चतुर्थ बार 1992
राष्ट्रपति :- डॉ. शंकर दयाल शर्मा
राज्यपाल :- एम. चिन्नारेड्डी
मुख्यमंत्री :- भैरोसिंह शेखावत

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2022-06-14 09:20:06 राजस्थान के प्रमुख शिवजी मन्दिरों के बारे( पार्ट -1)

बेणेश्वर महादेव का मंदिर-नेवरपुरा/नवाटापुरा (डूंगरपुर)

बेणेश्वर का अर्थ होता है-’’डेल्टा की मल्लिका’’ या ’’मृत आत्माओं का मुक्ति स्थल’’। यह मंदिर सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित हैं।
यहाँ पर विश्व का एकमात्र मिट्टी का बना हुआ पांच तरफ से खण्डित शिवलिंग है। इस शिवलिंग को पुजारी के अलावा अन्य कोई नहीं छू सकता हैं।
यहाँ पर मेला माघ पूर्णिमा को लगता हैं जिसे आदिवासियों का कुम्भ/भीलों का कुम्भ/ वागड़ का पुष्कर भी कहते हैं।
यहाँ पर आदिवासी अपनें पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करते हैं।

एकलिंग जी का मंदिर – कैलाशपुरी (उदयपुर)

एकलिंग जी मेवाड़ के महाराणाओं के ईष्टदेव या कुल देवता थे। इस मन्दिर का निर्माण 8वीं सदी में बप्पा रावल ने करवाया जिसकों वर्तमान स्वरूप महाराजा रायमल ने दिया।
मेवाड़ के शासक स्वयं को एकलिंग जी का दीवान मानकर शासक किया करते थे मेवाड़ के शासक एकलिंग जी के मन्दिर में तलवार के स्थान पर छड़ी लेकर जाते थे।
एकलिंगजी का मन्दिर राज्य में पाशुपत सम्प्रदाय का सबसे बड़ा मन्दिर है।
इस मन्दिर में शिव की चैमुखी मूर्ति है। पूर्व के मुख में सूर्य, उत्तर के मुख में ब्रह्मा, दक्षिण के मुख में शिव तथा पश्चिम के मुख में विष्णु के दृष्य हैं।
इस मन्दिर के पास लकुलीश मन्दिर हैं।

घुष्मेश्वणर महादेव का मन्दिर- सिवाड़ (सवाई माधोपुर)

देश के 12 ज्योर्तिलिंग में विख्यात है। इस मन्दिर में शिवलिंग सदैव जल में डूबा हुआ रहता है जिसके कारण भक्तों के दर्शन शीषे के माध्यम से होते है।
यहाँ के पर्वत कैलाश पर्वत के अनुभव कराते हैं।

मण्डलेश्वर शिव मन्दिर अर्थूना (बांसवाड़ा)

अर्थूना को ग्रन्थों में उत्थूनक कहा गया है। यह लकुलीश सम्प्रदाय का परमार कालीन राजस्थान का प्रसिद्ध मन्दिर है।
शिल्पकला की दृष्टि से आबू तथा यहाँ के मन्दिरों मे काफी समानता हैं।

राजराजेश्वतर/सिद्धेश्वर शिव मन्दिर (जयपुर)

यह मन्दिर आम जनता के लिए केवल शिवरात्री के दिन खुलता हैं।
मोती डूंगरी के महलों में इस मन्दिर का निर्माण 1864 में जयपुर के नरेश रामसिंह ने करवाया था।
यह जयपुर के राजाओं का निजी मन्दिर हैं।

देव सोमनाथ मन्दिर- डूंगरपुर

12वी सदी में निर्मित, यह 3 मंजिला देव सोमनाथ मन्दिर सोम नदी के किनारे स्थित हैं।
इसका निर्माण केवल पत्थरों से बिना चूना, मिट्टी व सीमेन्ट के किया गया है।
विेशेष- वागड़ के सोमपुरों की सिलावटी हस्तकला का यह अभूतपूर्व उदाहरण है।

गेपरनाथ महादेव मंदिर- कोटा

2008
में भूस्खलन के कारण यह मन्दिर चर्चा में रहा, इस मन्दिर में शिवलिंग/गर्भगृह जमीन की सतह से 300 फीट नीचे हैं।
इस मन्दिर में स्थित शिवलिंग पर सदैव एक जलधारा बहती है।

कंसुआ का शिव मंदिर- कोटा

इस मन्दिर की
दीवार पर कुटिया लिपी में 8वीं सदी का शिवगण मौर्य का शिलालेख मिला है।
इस मंदिर की विशेषता है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के 7-8 मीटर अन्दर स्थित शिवलिंग पर गिरती है।
इस मन्दिर में 1008 मुखी शिवलिंग भी है।

सोमनाथ मन्दिर – भानगढ़ (अलवर)

गुजरात के सोमनाथ मन्
दिर की प्रकृति का राज्य में यह एकमात्र मन्दिर है।

चार-चैमा का शिवालय- चार चैमा (कोटा)

यह कोटा राज्य का सबसे प्राची
न शिव मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण चैथी सदी के आसपास हुआ था, इसलिए इसे गुदा कालीन मंदिर भी कहते है।

शीतलेश्वर महादेव मन्दिर-झालरापाटन (झालावाड़)

चन्द्रभागा नदी के किनारे स्थित इस
मंदिरदिर को चन्द्रमोली मन्दिर भी कहते हैं।
महामारू शैली में बना यह राजस्थान का पहला समयाकिंत मन्दिर है जिस पर लिखा है 689।
यह एक अर्द्धनारीश्वनर मन्दिर है। अर्द्धनारीश्वसर का अर्थ है आधा शिव आधी पार्वती।

कपालीश्वर महादेव मन्दिर – इन्द्रगढ़ (बूँदी)

यह मन्दिर चाखण नदी के किनारे है।
विशेष- शैव
सम्प्रदाय के आचार्य मत्स्येन्द्र नाथ की राज्य में एकमात्र प्रतिमा इन्द्रगढ़ से मिली है।

मेद्धश्वर महादेव मन्दिर(चितौड़)

इस मन्दिर का निर्माण मालवा के
राजा भोज ने करवाया लेकिन पुनर्निर्माण महाराणा मोकल ने करवाया इसलिए इसे ’’मोकल जी का मन्दिर’’ भी कहते है।
मध्यकाल में पूर्ण विकसित परमार मूर्तिकला का चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में एकमात्र उदाहरण है।

मातृकुण्ड़िया का मन्दिर-राश्मि गाँव (चित्तौड़गढ़)-

बनास नदी के किनारे स्थित मातृकुण्
डिया को ’’मेवाड़ का हरिद्वार’’ कहते हैं। यहाँ स्थित कुण्ड़ में मृत व्यक्ति की अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।
हरिद्वार की तरह यहाँ भी लक्ष्मण झूला लगा हुआ हैं।

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2022-06-12 09:59:32 उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित (UPPSC)एक्जाम पर्चा 2022

G.S 1st पेपर

आज (12-06-2022) आयोजित

टे
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2022-06-11 08:38:43राजस्थान राज्यसभा चुनाव परिणाम

सीटों के लिए मतदान - 04
प्रत्याशी - 05
जीत के लिए आवश्यक मत - 41

विजेता
(1) श्री घनश्याम तिवाड़ी - भाजपा - (43 मत)
(2) श्री मुकुल वासनिक - कांग्रेस - (43 मत)
(3) श्री रणदीप सुरजेवाला - कांग्रेस - (42 मत)
(4) श्री प्रमोद तिवारी - कांग्रेस - (41 मत)

◆ इस तरह से 4 सीटों के लिए हुए चुनाव में 3 प्रत्याशी कांग्रेस के जीते तथा एक बीजेपी का।

नोट : एक निर्दलीय प्रत्याशी श्री सुभाष चंद्रा राज्यसभा चुनाव हार गए , उन्हें केवल 31 मत प्राप्त हुए।

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2022-06-11 08:38:29 तिथ्यानुसार विद्रोह का क्रम क्रांति की तिथि स्थान

28 मई, 1857 नसीराबाद में विद्रोह
31 मई, 1857 भरतपुर राज्य में विद्रोह
3 जून, 1857 नीमच में विद्रोह
10 जून, 1857 देवली छावनी में विद्रोह
14 जून, 1857 टोंक राज्य में विद्रोह
11 जुलाई, 1857 अलवर राज्य में विद्रोह
9 अगस्त, 1857 अजमेर के केंद्रीय कारागार में विद्रोह
21 अगस्त, 1857 एरिनपुरा के सैनिकों का विद्रोह
23 अगस्त, 1857 जोधपुरा लीजियन में विद्रोह
8 सितम्बर, 1857 बिटौड़ा / बिथोड़ा का युद्ध
18 सितम्बर 1857 चेलावास का युद्ध
27 अक्टूबर, 1857 धौलपुर राज्य में विद्रोह
15 अक्टूबर, 1857कोटा में विद्रोह

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2022-06-10 10:14:13 अति महत्वपूर्ण राजस्थान इतिहास के युद्ध

खातोली का युद्ध 1517 ई. कोटा

बांबी का युद्ध 1518 ई. धोलपुर

गागरोन का युद्ध 1519 ई. झालावाड़

बयाना का युद्ध 16 फरवरी 1527 ई. भरतपुर

खानवा का युद्ध 17 मार्च, 1527 ई. रूपवास भरतपुर

चंदेरी का युद्ध 1528 ई.

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जुन 1576 ई.

गिंगोली का युद्ध 12 मार्च 1807
परबतसर नागोर

चंदावर का युद्ध 1194

तूंगा का युद्ध 28 जुलाई, 1787 को
दौसा के पास तूंगा नामक

पाटन युद्ध 20 जून, 1790 को महादजी सिंधिया एवं राजपूत शासकों (जयपुर एवं मारवाड् के मध्य हुआ )

बिथौड़ा का युद्ध - 8 सितम्बर 1857(पाली)

चेलावास का युद्ध - 18 सितम्बर 1857(पाली)

साहेबा/पाहेबा का युद्ध(1542)
गिरी का युद्ध जनवरी सन 1544

दंताणी/दत्ताणी का युद्ध 17 अक्टूबर, 1583 ई.

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2022-06-09 18:04:15
भारतीय अर्थव्यवस्था में राजस्थान का योगदान 2021- 22

भारत की जीडीपी में राज्य का 5.15% योगदान है ।

प्रचलित मूल्यों के आधार पर (2011-12 की मूल्य पर) जीडीपी की विकास दर भारत की 9.2% थी जबकि राजस्थान की 11.04% रही थी ।

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