नमस्कार देवांशु जी जैसा आपने आदेश दिया कि मां बगलामुखी का कवच | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
नमस्कार देवांशु जी जैसा आपने आदेश दिया कि मां बगलामुखी का कवच ३१ बार करो तो कृत्या दोष दूर हो जाएगा। में कवच ३१ बार तो नही कर पा रहा हूं किंतु शाम को पूजा करके पूर्व दिशा में मुंह करके १५ बार कवच पढ़ता हूं और बाद में एक बार सहस्रनाम का पाठ कर लेता हूं। उसके बाद नहा कर ध्यान करता हूं। जो समस्या पहले आपको बताई थी वह तो दूर हो चुकी है (उत्तेजना) के संदर्भ में। किंतु आर्थिक और कोर्ट केस की समस्या अभी भी यथावत बनी हुई है।
कुछ दिनों से कोई शक्ति के होने का अहसास हो रहा है। दो दिन पहले सुबह नींद में कोई मेरे पलंग के नीचे से पलंग हिलाने लगी बाद में एक तरफ से पलंग ऊंचा कर दिया में पूरी तरह से डर गया। सपने में कमरा और पलंग वही था जहां में सोता हूं। फिर मैने मां के मंत्र सपने में करने लगा। फिर सब शांत हो गया और नींद खुल गई। पर मैं पूरी तरह से डर गया। ये कौनसी शक्ति है देवांशू जी जो ध्यान में भी आती है और नकारात्मक साधना को करने की सलाह देती है। और में उनको प्रणाम करके माना कर देता हूं। कृपया मार्ग दर्शन करें
उत्तर - सर्वप्रथम जिस प्रकार से गुड़ के अनुसार की शरबत में मिठास आती है उसी प्रकार से जितनी संख्या में आपको जो पाठ करने के लिए बोला गया है जब आप उसे पूर्ण करेंगे तभी आपको लाभ मिलेगा अभी आपने जितना किया है उसके अनुसार आपको लाभ प्राप्त हुआ है जब आप निर्धारित संख्या तक करेंगे तो उसी अनुसार आपको अपनी समस्या से मुक्ति प्राप्त होने की संभावना है.
स्वप्न और सत्य में अंतर होता है कई बार स्वप्न सत्य से मिल कर सकता है लेकिन स्वप्न एक मानसिक क्रिया है जिसे सत्य मानना उचित नही है इसलिए आप सिर्फ निर्धारित संख्या में पाठ करें वही उचित है.
पिछले कुछ समय में मैंने कुछ चीज़े पायी हैं जो अमिन आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ मैं २०१६ से ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा दे रहा हूँ तंत्र साधना की और इतने वर्षों में जो मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं वह मेरे व्यवहार के विषय में जानते हैं मैं कभी किसी के विषय में अनुचित नही बोलता हूँ और यदि मुझे किसी चीज़ की जानकारी नही है तो सीधे मना कर देता हूँ की मुझे नही पता इसमें मुझे कोई शर्म नही आती है की मुझे नही पता क्यूंकि मैं एक सामान्य साधक हूँ कोई महा गुरु नही हूँ जिसे सब आता होगा या पा होगा.
पिछले कुछ समय में मैंने यह देखा है साधक अपनी समस्या के लिए बड़ी बड़ी शक्तियों को जिम्मेदार पाना चाहते हैं की यदि वो आज परेशान हैं इसका कारण अतृप्तता उनका स्वयं का आलास अथवा काम न करने की इच्छा का इससे कोई लेना देना नही है या यदि वो असफल हो रहे हैं उसके पीछे किसी ने कोई क्रिया की है तभी असफल हो रहे हैं. देखिये यह सत्य है की जीवन में कुछ भी बिना तंत्र के नही होता है इसके पीछे का कारण किसी दिन लाइव विडियो में बताऊंगा लेकिन हर चीज़ के लिए अदृश्य शक्ति को जिम्मेदार न ठहराएं क्यूंकि स्वयं के कर्म भी इसमें उतने ही सहायक है आपके उत्थान अथवा पतन में जितनी अदृश्य शक्तियां आपने सूना होगा भक्ति में तनी शक्ति है की व्यक्ति अपने पूर्ण भविष्य को बदल देता है अथवा जीवन बदल देता है मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेता है. इसलिए कम से कम परिश्रम तो अच्छे से करें यह मेरा व्यक्तिगत विचार है आशा करता हूँ साधक इस्पे गहन चिंतन करेंगे. और सभी साधकों को पुनः शिक्षा देने हेतु मेरे द्वारा पुनः लाइव शिक्षा दी जाएगी जिसके विषय में जानकारी जल्द ही दी जाएगी.
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