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Bhaiya career unnati ke liye vastu upay kya ho sakte he उत्तर | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

Bhaiya career unnati ke liye vastu upay kya ho sakte he

उत्तर -
वास्तु (वस्तु) का मूल उद्देश्य स्थान की उर्जा को इस प्रकार से करना होता है जिससे मनुष्य स्थान विशेष के साथ सुखी रह सके. घर एक मंदिर इस पंक्ति का अत्यधिक उपयोग सुना होगा आपने इसका अर्थ है है की धर का निर्माण इस प्रकार से किया जाये जिस तरह की शक्ति एक मंदिर में प्राप्त होती है उसी तरह की शांति मनुष्य को अथवा उर्जा मनुष्य को घर में भी प्राप्त हो.

इसके लिए भगवान् विश्वकर्मा ने अनेक नियम दिए हैं शिल्प में एवं अन्य महा ऋषियों ने भी इसके विषय में जानकारी दी है. मैं अपनी व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर यह कहना चाहता हूँ की घर बनाने से पूर्व जितने नियम पालन करने हैं वो कर लेने चाहिए एक बार बन जाने के बाद शत प्रतिशत अनुकूलता लाना संभव नही हो पाता है. अब कई पुस्तक है जिनमे सिर्फ दिशा दे दी जाती है की यहाँ रसोई यहाँ निद्रा कक्ष बनाने चाहिए और उसी के आधार पर सब बना देते हैं जब की ऐसा है नही हो सकता है कई लोग मेरे विचार से सहमत न हो लेकिन मेरी शिक्षा सिविल इंजीनियरिंग में हुई है साथ ही साथ मैंने वास्तु की अनेक पुस्तक का अध्ययन किया है और मैंने यह पाया है की यदि एक बार घर न निर्माण हो गया तो उसमे पूर्ण उर्जा पुनः संतुलित करना संभव नही है कुछ अंश किया जा सकता है जैसे ५० से ६० प्रतिशत जिस हेतु अनिष्ट काल भैरव यन्त्र की स्थापना की जाती है और इसके लिए भी साधक को एक व्यक्ति चाहिए जो उस यन्त्र के साथ सम मेल आना के रखे और आने वाली पीढ़ी भी उसी अनुसार पूजन करें.

मैं स्वयं भी वास्तु अनुसार स्थान विशेष का नक्शा बनाता हूँ लेकिन मुझे काफी समय लगता है क्यूंकि मैं कंप्यूटर के माध्यम से नही बनाता हूँ मुझे सब हाथ से करना पड़ता है और वास्तु के अनुसार निर्माण करने पर जो सामान्य खर्च आता है उससे लगभग ४० प्रतिशत अधिक खर्च आएगा इसलिए वही व्यक्ति इसे करवाते हैं जिनके पास अत्यधिक धनराशी है. जैसे मान लीजिये मुझे एक स्थान का सम्पूर्ण नक्शा बनाने के लिए लगभग ५० दिन से अधिक चाहिए और यदि कंप्यूटर पे वही बनाना पड़ा तो हो सकता है १०० दिन भी लग सकते हैं इसलिए मैं सिर्फ कागज़ पे बना के दे देता हूँ अन्य कार्य व्यक्ति अपने अनुसार किसी और से करवा लेते हैं.

लेकिन मेरे द्वारा बनाये गये घर का नक्षा और सामन्य वास्तु के नक़्शे में बहुत अंतर रहेगा क्यूंकि मैं ऊर्जा को नियंत्रित एवं आवश्यकता अनुसार निर्मित करता हूँ स्थान ना की एक ही प्रकार से. जब व्यक्ति उस स्थान में रहते हैं तो वह शत प्रतिशत तय है की उन्हें मानसिक शारीरिक इस प्रकार की समस्या न के बराबर आएँगी और व्यक्ति मस्तिष्क और शरीर से तभी स्वस्थ रहता है जब आर्थिक रूप से संपन्न है.