गुरुदेव प्रश्न यह है कि क्या एक व्यक्ती तीनो प्रकार की साधनाएं | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
गुरुदेव प्रश्न यह है कि क्या एक व्यक्ती तीनो प्रकार की साधनाएं जैसे सात्विक राजसिक तामसिक कर सकते हैं तो उसमे ऊर्जा का स्थानांतरण कैसे होता है
उत्तर - सात्विक राजसिक अथवा तामसिक विधि है किसी भी साधना को संपन्न करने की अर्थात की आप एक ही शक्ति की साधना इन तीनो प्रकार से कर सकते हैं और भी कुछ प्रकार से कर सकते हैं जैसे सात्विक में न्यास विनयोग आदि सम्मिलित हैं, राजसिक में यौगिक क्रिया, तामसिक में पञ्च माकर आदि आदि सम्मिलित हैं. एक ही साधना को एक ही समय पे तीनो प्रकार से करने का कोई लाभ नही है अथव अभिन्न भिन्न साधनाएं एक ही समय पे तीन विधि से करने में कोई लाभ नही है. क्यूंकि यदि भौतिक रूप से तामसिक साधना देखें उसमे मैथुन की प्रक्रिया है जब की राजसिक एवं सात्विक में ब्रह्मचर्य आवश्यक है इस तरह से आप यह तीनो एक साथ करने में दुविधा में फंस सकते हैं. सात्विक और राजसिक में भी इसी प्रकार से मांस आदि की प्रक्रिया बाधा बन सकती है. इसी कारन से तीनो को एक साथ करना उचित प्रतीत नही होता है.
लेकिन यदि कोई साधक करना ही चाहता है तो उसे पञ्च मकार को भी यौगिक क्रिया में परिवर्तित करना होगा जिससे वह तामसिक और राजसिक को एक साथ साध लेंगे और सात्विक प्रक्रिया को ध्यान में परिवर्तित करना होगा इस प्रकार से पूर्ण मंत्र साधना एक साथ की जा सकती है लेकिन यह असंभव में बराबर प्रतीत होती है इसलिए व्यक्तिगत सलाह है की एक बार में एक ही विधि का पालन करते हुए साधना करना उचित है.
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