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त्रिपुर योगिनी साधना योगिनियाँ यक्षिणी वर्ग की एक उपजाति होत | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

त्रिपुर योगिनी साधना

योगिनियाँ यक्षिणी वर्ग की एक उपजाति होती हैं जो अद्भुत शक्ति वाली होती हैं. इन्ही में से एक योगिनी हैं त्रिपुर योगिनी जिनके विषय में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

इनकी सिद्धि कर के साधक बहुत साड़ी चमत्कारी मायावी शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं, तरह तरह के चमत्कार दिखा सकते हैं, तरह तरह की तांत्रिक शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं, षट्कर्म करने की क्षमता प्राप्त कर सकते हैं अर्थात इनकी सिद्धि कर के साधक पूर्ण तांत्रिक क्रियायों को सफल करने की क्षमता प्राप्त कर सकते हैं.

इनकी साधना के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और इनकी सिद्धि के पश्चात ये अन्य साधनाओं का ज्ञान और उन्हें सफल करने के तरीके भी बताती हैं इनकी साधना सिद्धि के बाद साधक अन्य किसी भी साधना में सफल होंगे ही होंगे क्यूंकि त्रिपुर योगिनी उनकी सहायता करेंगी साधना सफल करने में और केवल साधना में ही नहीं साधक के अन्य जो भी सांसारिक कार्य होते हैं

ये योगिनी उन् कार्यों में भी साधक की सहायता करती हैं और निश्चित सफलता प्राप्त करवाती हैं. सर्वप्रथम यह जान लें की यह साधना साधक के सम्भोग सुख हेतु नहीं है परन्तु साधक की इच्छा होने पर यह सम्भोग कर सकती हैं परन्तु उसके लिए कुछ शर्तों अथवा नियमों का पालन करना होगा जो योगिनी स्वयं से बतायेंगी.


अब आइये समझते हैं की साधना कैसे करें, यह एक राजसिक वाढ की साधना है, सर्वप्रथम एक श्वेतार्क की जड़ से बनी हुई 108 मानकों की माला की व्यवस्था करें उसके पश्चात अपनी राष्ही अनुसार शुभ मुहर का चयन कर के साधना हेतु बैठें. इस साधना को ३२ दिनों तक करना है और प्रति दिन 15 माला का जाप करना है.

लाल आसन पर इस प्रकार से बैठें की आपका मुख उत्तर या पश्चिम दिशा की तरफ हो, इसके पश्चात आप आपने समक्ष घी अथवा तेल का दिया जलाएं. यदि दिया घी का है तो अपने कुछ दाहिनी तरफ रखें और यदि दिया तेल का है तो अपने कुछ बायीं तरफ रखें.

यह साधना आप रात्रि दस बजे के बाद से शुरू करेंगे क्योंकि यह रात्रिकालीन साधना है इस साधना को दिन में सूर्य के प्रकाश में करना वर्जित है. इस साधना को पूजा स्थल पर नहीं करेंगे. बेडरूम अथवा अन्य किसी स्थल पर कर सकते हैं बस इतना ध्यान रखियेगा की साधना स्थल ऐसा होना चाहिए जहाँ पर साधना के समय किसी भी प्रकार का कोई व्यवधान न हो.

साधना के दौरान लाल वस्त्र धारण करें या ऐसे वस्त्र धारण करें जिनमें नीले या काले रंग की छवि न हो अर्थात नीले अथवा काले रंग से दुरी बना कर रखें. यदि आप इनका प्रत्यक्ष दर्शन करना चाहते हैं तो साधना के बाद कुछ समय का ध्यान भी करें. साधनाकाल में भोजन भी सामान्य रखें, तामसिक भोजन जैसे मांस मदिरा ग्रहण न करें.

लहसुन प्याज खा सकते हैं. इस साधना में हवन की आवश्यकता नहीं है, हवन की जगह पर कन्या भोज की क्रिया है जो की 37वें दिन होगी जिसमें आपको 7 कुंवारी कन्याओं को उनकी संतुष्टि अनुसार भोजन करवाना होगा कृपया इसमें कंजूसी न करें और जो कन्या तामस भोजन करती हों उन्हें इस भोज में सम्मिलित न करें जिन 7 कन्याओं को आप भोजन करवाएंगे वो कन्यायें तामसिक अथवा मांसाहार भोजन करने वाली नहीं होनी चाहिए अन्यथा योगिनी का स्वभाव भी तामसिक प्रवृत्ति का हो जायेगा और तामसिक गुण वाली त्रिपुर योगिनी का प्रत्यक्षीकरण हो जायेगा इसीलिए इस बात का ख़ास ख्याल रखें.

ख़ास ख्याल रखने वाली कुछ बातें :-

1) साधना काल में 37 दिनों तक जब तक कन्याभोज समापन न हो जाये तब तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें.
2) साधना स्थल ऐसा हो जहाँ साधना के दौरान किसीका आना जाना न हो ताकि कोई व्यवधान पैदा न कर सके.
3) साधना के दौरान जलते हुए दिए का ख़ास ख्याल रखना है की दिया बुझे नहीं.
4) कन्याभोज के समय कन्याओं को यह कदापि न बताएं की भोजन क्यों करवाया जा रहा है इससे साधना की गुप्तता भंग हो जाएगी, अपने अंतर्ज्ञान का उपयोग कर के कोई भी बहाना बता सकते हैं.
5) साधना काल में मांसाहार एवं मदिरा का सेवन न करें.
6) कन्याभोज में तामसिक भोजन जैसे मांस ग्रहण करने अली कन्यायों को सम्मिलित न करें.

मूल मंत्र : त्रिपुर योगिनी रूप सुंदरी महा मोहिनी क्लीम फट