क्यूँ नहीं होती माता की साधना के साथ नकारात्मक साधनायें ? जब | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
क्यूँ नहीं होती माता की साधना के साथ नकारात्मक साधनायें ?
जब भी साधक द्वारा मंत्र जप किया जाता है उस वक़्त एक काल्पनिक रस उत्पन्न होता है चक्रों के माध्यम से जिस कारण से वह मंत्र की तरंग वातावरण में विसर्जित होती है ।
मान लीजिए यह रस श्वेत है अब नकारात्मक साधना से जो रस उत्पन्न हुआ वह हल्का काला है अब दोनों के मिलने के बाद जो अंत रस बनेगा उसमे न श्वेत रहेगा न पूर्ण रूप से काला इस वजह से साधना में सफलता नही मिलेगी ।
यदि ऊर्जा के संदर्भ में समझें इसे तो , पर्त्येक नाड़ी (नदी) एयं चक्र किसी भी अतृप्त आत्मा को शरीर देने में सहायक होता है जिस कारण से 3 तत्व ल शरीर पूर्ण रूप से 5 तत्व में परिवर्तित होता है । जब हम माता के मंत्रों की साधना करते हैं उस वक़्त जो नदी एयं चक्र ऊर्जावान होते हैं वह अधिकः ऊर्जा ग्रहण करते हैं नकारात्मक साधना में इतनी ऊर्जा नही हो पाती है जिस कारण से माता की साधना किया हुआ व्यक्ति यदि जीवन मे कभी भी कोशिश करे तो उसे नकारात्मक साधना में सफलता न मात्र ही मिलती है ।
ऐसी अवस्था मे व्यक्ति को सर्वप्रथम चक्र शुद्धिकरण करना चाइए क्रियायोग के माध्यम से उसके बाद किसी अन्य साधना को करना चाइए ।
चक्र शुद्धिकरण -
1 स्पर्श 2 गंध 3 रस 4 ध्वनि 5 योगिक क्रिया
के माध्यम से संभव है।
गंध एवं रस का सम्मिलित स्वरूप आपको आने वाले समय मे संस्था के माध्यम से प्राप्त होगा।
योगिक क्रिया हेतु आप आश्रम अथवा शिविर में आके अभ्यास कर सकते हैं।
ध्वनि पर शोध चल रहा है आने वाले समय मे इसके विषय मे भी जानकारी दी जाएगी।
यदि अनेक साधनाए की है और सफलता प्राप्त नही हुई है उस स्थिति में चक्र शुद्धिकरण अत्यंत आवश्यक है। इसका सम्मिलित स्वरूप गंध एवं रस आने वाले समय मे प्राप्त होगा उसे आप अवश्य उपयोग करें।
उसके बाद ही अन्य साधना करें जिससे सफलता की संभावना बढ़ सके।
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