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क्षमा का मार्ग हम सभी ने अपने जीवन में अनगिनत त्रुटियाँ, ढ़ेरो | Dharm, Shastra, Vedic & Gita Gyan 🛕 🚩

क्षमा का मार्ग

हम सभी ने अपने जीवन में अनगिनत त्रुटियाँ, ढ़ेरों गलतियाँ और मूर्खताएँ की हैं | हमने ऐसे भी कर्म किये हैं जिनसे हमने दूसरों की भावनाओं को आहत किया है, उनके दुःखों, उनकी पीडाओं का कारण बने हैं |

जब हमें इसका बोध हो जाता है, ये बात समझ आ जाती है कि हमने कुछ गलत किया है, और इस ग्लानि भाव से बचने के लिए ये अपेक्षा करते हैं कि वह व्यक्ति हमें बस क्षमा कर दे, ताकि हम जितना जल्दी हो सके, इस असहज भावना से पार पा सके | पाप कर्म से क्षमा तक की यात्रा को हम एक क्षण में पूरा कर लेना चाहते हैं | पर यह विचार और अपेक्षा स्वयं में एक समस्या है |

क्षमा का मार्ग प्रारंभ होता है अपराधबोध से, यही पहला कदम है, जब आपको पता चलता है कि आपने अपराध किया है |

इसके बाद आता है पश्चाताप | यह पड़ाव तब आता है जब हमें यह समझ आता है कि आपने किसी व्यक्ति को कितनी पीड़ा पहुँचायी है, उनकी पीड़ा के प्रति स्वयं को सहानुभूति होने लगती है |

फिर बारी आती है प्रायश्चित की | यही वह पड़ाव है जिससे हम सभी दूर भागते हैं, और यदि दूर ना भी भागे, तब भी हम इससे बच निकलने का भरपूर प्रयास करते हैं | क्यों ? क्योंकि इस पड़ाव पर हमें स्वयं के लिए यह निर्णय लेना होता है की हम किस प्रकार से अपनी गलती को सुधारें, स्वयं को शिक्षा दें जिससे यह पुनः ना हो | आप उनके पीड़ा का अनुभव स्वयं, व्यक्तिगत रूप से करने का प्रयास करते हैं |

और इसी कदम को पूर्ण करके, आप किसी की क्षमा के पात्र बनते हैं | इसके बिना, किसी से क्षमा याचना के लिए, नैतिकता के आधार पर, आपका कोई अधिकार नही है, और यदि ऐसे आपको किसी ने क्षमा कर भी दिया, तो ऐसे क्षमा का आपके लिए कोई अर्थ नही है |

पाप, अपराधबोध, पश्चाताप, प्रायश्चित और क्षमा याचना… यही है क्षमा का मार्ग |