भावार्थ : इस प्रकार शोकसे संतप्त हुए केकयीकुमार भरतसे वक्ताओंमें श्रेष्ठ महर्षि वसिष्ठने उत्तम वाणीमें कहा- ॥ १ ॥
अलं शोकेन भद्रं ते राजपुत्र महायशः । प्राप्तकालं नरपतेः कुरु संयानमुत्तमम् ॥ २ ॥
भावार्थ : महायशस्वी राजकुमार ! तुम्हारा कल्याण हो। यह शोक छोड़ो, क्योंकि इससे कुछ होने जानेवाला नहीं है। अब समयोचित कर्तव्यपर ध्यान दो राजा दशरथके शवको दाहसंस्कार के लिये ले चलनेका उत्तम प्रबन्ध करो ॥ २ ॥
क्रमशः.....
अहिंसा परमोधर्मः धर्म हिंसातथैव च:
अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है..!!
जब जब धर्म (सत्य) पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना