"हथेलियाँ अखरोट सम्भाले बैठी रहती हैं मन फुदकती हुई अठखेलियों की बाल-चेष्टा में फँसा रहता है प्रेम हमेशा एक गिलहरी के पास आने की प्रतीक्षा की तरह रहा।" https://poshampa.org/gilhari-adarsh-bhushan-kavita/ 39 views11:27