'जहाँ बालिका की स्मृति होगी, वहाँ उसके उत्तरोत्तर जीवन में खरो | Posham Pa ― a Hindi literary website
"जहाँ बालिका की स्मृति होगी, वहाँ उसके उत्तरोत्तर जीवन में खरोंचे गए सपनों और देह का दुखद वृत्तान्त भी होगा। अच्छे घर की संस्कारी लड़की से अपेक्षा की जाती है कि वह ऊँची दुनिया की इमारतों को निगाह नीची कर देखे। इसी के कंट्रास्ट में इस पुरुषवादी संसार में स्त्री को पुरुष इस तरह देखते हैं—
“स्त्री अभी-अभी सह कर आयी है
तीक्ष्ण निगाहों के चाबुक
क्यों-कहाँ-कब चली सवारी
जैसे जुमलों के जवाब देकर!”
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