'नहीं बाँटूँगा अपने आप का पावन अंधेरा उन उजालों को जो मेरी सृष | Posham Pa ― a Hindi literary website
"नहीं बाँटूँगा अपने आप का पावन अंधेरा उन उजालों को जो मेरी सृष्टि के आरम्भ से अवसान तक रहता, मेरे अन्तस् को भरता और करता मुझको ख़ाली ख़ुद से ख़ाली पूरा ख़ाली!"