'यह अभ्यास बदस्तूर जारी है आज मैं चेहरे से भी दरिद्र दिखने लगा | Posham Pa ― a Hindi literary website
"यह अभ्यास बदस्तूर जारी है आज मैं चेहरे से भी दरिद्र दिखने लगा हूँ सफ़ेद ख़ाली काग़ज़ पर सिर झुकाकर जब लिख रहा होता हूँ कोई आवेदन मेरे ख़याल में जूतों की एक जमात तैरती है..."