अब किसी आवाज़ पर दौड़ नहीं पड़ते अचानक नंगे पाँव कमरों में आराम से बैठे-बैठे देखते रहते हैं नरसंहार... https://poshampa.org/manushya-bhagwat-rawat-kavita/ 73 views03:29