मैं चंदन हुआ जा रहा हूँ तुम्हारी चुप्पी के पहाड़ों से ख़ुद को रगड़कर तुम्हारी त्वचा पर फैल जाऊँगा। अच्छा जाने दो त्वचा पर चंदन का सूख जाना तुम्हें पसन्द नहीं! https://poshampa.org/chalo-ghoom-aaein-a-poem-by-sarveshwar-dayal-saxena/ 118 views05:29