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'जिस देवी दुर्गा के सामने एक निरीह शूद्र की बलि चढ़नी थी, देखते | Posham Pa ― a Hindi literary website

"जिस देवी दुर्गा के सामने एक निरीह शूद्र की बलि चढ़नी थी, देखते-ही-देखते उसके सामने लहू से नहायी निकुम्भों की लाशें बिछ गईं। क़िले का पूरा अहाता जैसे किसी छोटे-से रक्त-कुंड में तब्दील हो गया। जो इस संहार से बच गए, उनमें से कुछ ने क़िले से कूदकर जान दे दी और जो बच गए, वे अंधेरे का फ़ायदा उठा जान बचाकर भाग गए।"

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