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कई RTI और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने केंद्र सरकार के इस कदम की | 🏆🔘📘 LALIT ACADEMY 📘🔘🏆

कई RTI और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने केंद्र सरकार के इस कदम की काफी आलोचना की थी। कार्यकर्त्ताओं का कहना था कि इस प्रकार के संशोधन से केंद्र सरकार मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तों के निर्धारण संबंधी शक्तियों के अधिग्रहण का प्रयास कर रही है, जिसके प्रभाव से इस संभावना को और अधिक बल मिलता है कि इन पदों पर बैठे लोग सरकार के प्रति अपनी वफादारी साबित करने में ज़्यादा रुचि लेंगे, न कि आम नागरिकों के हित के कार्यों में।

➤क्यों महत्त्वपूर्ण है सूचना का अधिकार?

• सूचना तक पहुँच का अधिकार समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को सार्वजनिक नीतियों और कार्यों के बारे में जानकारी मांगने और प्राप्त करने हेतु सशक्त बनाता है, जिससे उनका कल्याण संभव हो सके।

• यह अधिनियम सरकार के सभी कदमों को आम जनता के समक्ष जाँच के दायरे में लाता है।

• इससे सरकार और सरकारी विभाग और अधिक जवाबदेह बनते हैं एवं उनके कार्यों में पारदर्शिता आती है।

• यह सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा अनावश्यक गोपनीयता को हटाकर निर्णयन में सुधार करता है।

➤RTI के समक्ष चुनौतियाँ

1. जागरूकता की कमी

एक सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि उसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों में से मात्र 15 प्रतिशत ही RTI अधिनियम के बारे में जानते थे। सर्वेक्षण से यह बात भी सामने आई थी कि अधिकतर लोगों को इस बारे में या तो मीडिया से पता चला या फिर किसी अन्य व्यक्ति से जानकारी मिली। इसका अर्थ यह हुआ कि RTI संबंधी जागरूकता को लेकर उसकी नोडल एजेंसी का कार्य काफी सीमित है।

2. प्रदान की जाने वाली सूचना की खराब गुणवत्ता

RTI दाखिल करने वाले 75 प्रतिशत कार्यकर्त्ता प्राप्त सूचना से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते हैं। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के क्रमशः 91 और 96 प्रतिशत याचिकाकर्त्ताओं ने RTI के तहत प्राप्त सूचना के संबंध में असंतुष्टि ज़ाहिर की है। साथ ही कई याचिकाकर्त्ताओं ने अनावश्यक जानकरी प्राप्त होने की बात भी स्वीकार की है।

3. समय पर सूचना प्राप्त न होना

अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी सामान्य परिस्थिति में सूचना को 30 दिनों के भीतर प्रदान करना आवश्यक है, परंतु उपरोक्त सर्वेक्षण में सामने आया कि सूचनाओं के कुप्रबंधन के कारण 50 प्रतिशत याचिकाकर्त्ताओं को इस अवधि के भीतर आवश्यक सूचना प्राप्त नहीं होती है।

4. अन्य चुनौतियाँ

• नौकरशाही में अभिलेखों को रखने व उनके संरक्षण की व्यवस्था बहुत कमज़ोर है।

• सूचना आयोगों को चलाने के लिये पर्याप्त अवसंरचना और स्टाफ का अभाव है।

• सूचना के अधिकार कानून के पूरक कानूनों, जैसे- ‘व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम’ का कुशल क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।

➤निष्कर्ष

RTI अधिनियम, 2005 को सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेहिता जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु लाया गया था, परंतु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि RTI तंत्र की विफलता के कारण यह अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल रहा है। यह आवश्यक है कि सरकार तथा नागरिक संस्थानों को मिलकर RTI अधिनियम को और अधिक मज़बूत करने का प्रयास करना चाहिये, जिससे प्रशासन में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के साथ लोगों की भागीदारी भी बढ़ेगी।