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सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 ➤संदर्भ भारतीय संविधान द | 🏆🔘📘 LALIT ACADEMY 📘🔘🏆

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005

➤संदर्भ

भारतीय संविधान देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है अर्थात् देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी विषय पर अपनी स्वतंत्र राय रखने और उसे अन्य लोगों के साथ साझा करने का अधिकार है, परंतु कई स्वतंत्र विचारकों का सदैव मानना रहा है कि सूचना और पारदर्शिता के अभाव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई महत्त्व नहीं रह जाता। सूचना का अधिकार भारत जैसे बड़े लोकतंत्रों को मज़बूत करने और उनके नागरिक केंद्रित विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

➤सूचना के अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

• वैश्विक स्तर सूचना के अधिकार को एक नई पहचान तब मिली जब वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (Universal Declaration of Human Rights) को अपनाया गया। इसके माध्यम से सभी को मीडिया या किसी अन्य माध्यम से सूचना मांगने एवं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।

• अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन के अनुसार, “सूचना लोकतंत्र की मुद्रा होती है एवं किसी भी जीवंत सभ्य समाज के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।”

• भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया।

➤सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।

➤अधिनियम के मुख्य प्रावधान

• इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

• इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।

• प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में असंतुष्टि, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिति में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है।

• इस अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद व राज्य विधानमंडल के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और निर्वाचन आयोग (Election Commission) जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।

• इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 या 10 से कम सूचना आयुक्तों की सदस्यता वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसी के आधार पर राज्य में भी एक राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाएगा।

• यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर (यहाँ जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों पर लागू होता है।

• इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।

• राष्ट्र की संप्रभुता, एकता-अखण्डता, सामरिक हितों आदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली सूचनाएँ प्रकट करने की बाध्यता से मुक्ति प्रदान की गई है।

➤RTI अधिनियम के उद्देश्य

• पारदर्शिता लाना

• जवाबदेही तय करना

• नागरिकों को सशक्त बनाना

• भ्रष्टाचार पर रोक लगाना

• लोकतंत्र की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना

➤सूचना अधिनियम में हालिया संशोधन

• बीते दिनों केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन किया था, जिस पर कई आलोचकों एवं विश्लेषकों का मानना था कि इस कदम से सूचना का अधिकार कानून की मूल भावना ही खतरे में आ जाएगी।

• अधिनियम में मुख्य संशोधन

• संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय की जाएंगी।

• उल्लेखनीय है कि RTI अधिनियम की धारा-13 में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की पदावधि और सेवा शर्तों का उपबंध किया गया था। अधिनियम में कहा गया था कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन, भत्ते और शर्तें क्रमश: मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के समान होंगी। इसमें यह भी उपबंध किया गया था कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों का वेतन क्रमश: निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव के समान होगा।

➤संशोधन की आलोचना