मैंने इश्क़ मुक्कमल कुछ यूं किया। धागे का एक छोर उसे दिया। कभी वो आहट दे कभी मैं। जारी ये मैंने खोखला सिलसिला किया। देखो मैंने इश्क़ कैसे मुक्कमल किया। खामोशी से दर्द सारे छुपाए। तेरी एक आहट ने आंखों का समंदर छलका दिया। देखो मैने इश्क़ कैसे मुक्कमल किया।