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Fuck BJP

टेलीग्राम चैनल का लोगो hindumuslimekhai — Fuck BJP F
टेलीग्राम चैनल का लोगो hindumuslimekhai — Fuck BJP
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नवीनतम संदेश 5

2021-06-21 14:02:19
Please Unmute Our Channel,
Because We are not a it Cell,
We're A group of fighters,against of dictatorship, against of tyrant king
,Against of Hitler PM
Thank you very much,
If you Unmute Our Channel.....
100 viewsHARSH , 11:02
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2021-06-21 13:34:58
Bilkul aise hi ladki ki avashyakta hai
101 viewsHARSH , edited  10:34
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2021-06-21 07:15:42
Mr Robot Speech about God,
And he was right
...
94 viewsHARSH , 04:15
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2021-06-21 05:33:20
Dance
96 viewsAftab Shaikh, 02:33
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2021-06-20 16:32:44
107 viewsAftab Shaikh, 13:32
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2021-06-20 16:32:21
106 viewsAftab Shaikh, 13:32
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2021-06-20 09:16:43 सी शिवशंकरन दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं यदि वह उत्तर भारत के उद्योगपति होते तो अब तक बहुत हिंदी मीडिया में बड़े स्तर पर हंगामा मच गया होता....

चेन्नई के बिजनसमैन सी शिवशंकरन पर मोदी सरकार गजब की मेहरबान है उनके शिवा ग्रुप का 4863 करोड़ रु. का लोन 323 करोड़ रुपये में खत्म किया जा रहा है पेमेंट शेड्यूल के मुताबिक, बैंक को 323 करोड़ रुपये के भुगतान भी उन्हें 6 महीने में करना है अभी के लिए एडवांस पेमेंट तो उन्हें मात्र 5 करोड़ रुपये देना है. इतना ही नहीं सी शिवशंकरन अब शिव इंडस्ट्रीज के नाम पर नए लोन का लाभ भी उठा सकते हैं.

सी शिवशंकरन ने सिर्फ यही कांड नही किया है यदि यह कहा जाए कि IDBI बैंक को और IL&FS जैसे मेगा ऑर्गेनाइजेशन को डुबोने में इनका बहुत बड़ा रोल रहा है तो गलत नहीं होगा

शिवा ग्रुप को लोन देने वाले लीड बैंकर के रूप में IDBI बैंक उसी सी शिवशंकरन के साथ मामले का निपटारा कर रहा है, जिसे आईडीबीआई लोन केस में सीबीआई की जांच का सामना करना पड़ा था, 2010-14 के बीच 600 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड में सी शिवशंकरन मुख्य अभियुक्त थे

कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री की इनवेस्टिगेटिव टीम SFIO ने अपनी जांच के आधार पर एक चार्ज शीट दायर की थी। इस चार्जशीट में ग्रुप चेयरमैन सी शिवशंकरन सहित कई दूसरे लोगों का नाम थे सीबीआई ने एफआईआर में शामिल लोगों के नाम सभी एयरपोर्ट को सर्कुलर जारी किया था। लेकिन बाद में इस नोटिस को हल्का कर दिया ताकि शिवशंकरण विदेश यात्रा कर सके इस मामले में तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का नाम भी उछला था कहा जाता है कि किसी संयुक्त निदेशक रैंक के अधिकारी ने नोटिस को हल्का करने के लिए शिवशंकरन से अपने दफ्तर और पांच सितारा होटेल में मुलाकात की थी

सी शिवशंकरन का IL&FS से भी सीधा संबंध था IL&FS ने पिछले 2018 सितंबर में डिफॉल्ट किया था। इससे पैदा हुए संकट की जद में तमाम नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां भी आ गईं थी

दरअसल शिवशंकरण ने आईएलऐंडएफएस के कम-से-कम तीन बड़े अधिकारियों- रवि पार्थसारथी, विभव कपूर और हरि शंकरण को लोन दिलवाने के लिए बतौर रिश्वत कई सुविधाएं उपलब्ध कराई थी उनमें विदेशों का पर्यटन, प्राइवेट जेट्स और हेलिकॉप्टर की सवारी, रेजॉर्ट्स बुकिंग और यहां तक कि बेल्जियम के ब्रसेल्स के फ्लैट्स की आंतरिक साज-सज्जा तक करवाना शामिल है। तीनों अधिकारियों ने इन सबके बदले शिवशंकरण के पक्ष में काम किया और इन अधिकारियों ने शिवशंकरन को शिव ग्रुप को पिछला लोन चुकाने के लिए नया लोन जारी किया ताकि पिछला लोन नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) कैटिगरी में नहीं जा सके

यानी IDBI बैंक को और IL&FS ग्रुप को डुबोने मे शिवशंकरन सीधे दोषी है लेकिन उन्हें सजा दिलवाने के बजाय उनके लोन लगभग मुफ्त के भाव सेटल किये जा रहे है

साफ दिख रहा है कि मोदी सरकार सी शिवशंकरन को अनुचित तरीके से लाभ पुहंचा रही है सवाल यह है कि ऐसा क्यो ?

दरअसल सी शिवशंकरन वही है जिन्होंने टेलिकॉम कंपनी एयरसेल (Aircel) की स्थापना की थी। शिवशंकरण 2G घोटाले से संबंधित एयरसेल-मैक्सिस केस के मुख्य शिकायतकर्ता थे जिसमें पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि का नाम था।1 अप्रैल 2015 को ईडी ने मारन के भाई की 742 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली. इस मामले में सुब्रमण्यन स्वामी ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम पर भी आरोप लगाया कि उन्हें इस डील में एयरसेल के पांच फीसदी शेयर मिले हैं

इसका मतलब यह है कि सी शिवशंकरन ऐसे शख्स है जो पी चिदम्बरम के पूरे परिवार को लपेटने की सबसे अहम कड़ी है अब ऐसे शख्स पर मोदी मेहरबानी न दिखाए तो किस पर दिखाएंगे
158 viewsHARSH , 06:16
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2021-06-19 17:53:17
128 viewsHARSH , 14:53
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2021-06-19 07:51:44
Motivation वीडियो देखने के बाद ये कमाल हुआ
35 viewsHARSH , 04:51
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2021-06-19 07:45:57 कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 19 जून को अपना जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर कांग्रेस ने सेवा दिवस मनाने का फैसला किया है. नेहरू-गांधी परिवार  की चौथी पीढ़ी के सदस्य राहुल के पास नेहरू, इंदिरा या राजीव गांधी जैसा करिश्माई प्रभाव नहीं हैं लेकिन उनसे हमेशा ही उसी जादू की उम्मीद जरूर की जाती रही. राहुल गांधी के कई शुभचिंतक और राजनैतिक विश्लेषक उनके और कांग्रेस (Congress) के भविष्य पर भी एक तरह का ‘मंथन’ कर रहे हैं. लेकिन हम बता रहे हैं कि राजनीति (Politics) में आने से पहले उनका जीवन कैसा था.

सार्वजनिक जीवन से दूर रहा बचपन

दिल्ली में 19 जून 1970 को पैदा हुए राहुल भारत के पूर्व प्रधानंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी  की पहली संतान हैं. उनका बचपन दिल्ली और देहरादून के बीच बीता वे शुरुआती जीवन में सार्वजनिक जीवन से दूर रहे. जब वे पैदा हुए थे तब उनकी दादी इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं. साल 1981 से 1983 के बीच उन्होंने उत्तराखंड के देहरादून में दून स्कूल में पढ़ाई की जहां उनके पिता भी पढ़े थे.

घर में स्कूली शिक्षा के बाद दिल्ली का कॉलेज

राहुल की पढ़ाई  में सबसे पहली बार व्यवधान तब हुआ जब उनकी दादी की 1984 में हत्या कर दी गई. सुरक्षा खतरों को देखते  हुए राहुल और उनकी बहन प्रियंका को 1989 तक घर पर ही शिक्षा लेनी पड़ी. 1989 में राहुल ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में स्तानक की शिक्षा के लिए स्पोर्ट्स कोटा से दाखिला लिया. उस समय राहुल की रैंगिंग की तस्वीर ने खूब हलचल मचाई थी

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की दादी और पिता के हत्या का असर उनकी पढ़ाई पर हुआ था

बदलने पड़े कॉलेज

साल 1990 में राहुल न अर्थशास्त्र के अध्ययन के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. लेकिन साल 1991 में उनके पिता राजीव गांधी की लिट्टे आंतकियों ने हत्या कर दी जिसके बाद सुरक्षा कारणों ने वे अमेरिका के फ्लोरीडा में रोलिन्स कॉलेज में चले गए जहां उन्होंने 1994 में बीए की डिग्री हासिल की.

बदले नाम से किया एमफिल

1995 में राहुल ने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से डेवलपमेंड स्टडीज में एमफिल करने के प्रवेश लिया. परिवार की सुरक्षा के खतरे ने यहां भी राहुल का पीछा नहीं छोड़ा था. और इसी वजह से उनका नाम सु राहुल विंसी लिखवाया गया था. उनके पिता राजीव गांधी और दादी के पिता जवाहरलाल नेहरू भी इसी कॉलेज से स्नातक हुए थे

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से एमफिल की डिग्री ली है. .

पढ़ाई के बाद काम

स्नातक करने के बाद राहुल ने एक मॉनिटर ग्रुप नाम की सलाहकार फर्म के साथ लंदन में तीन साल तक काम किया इस ग्रुप की स्थापना माइकल पोर्टर ने की थी. साल 2002 में वे मुंबई की एक तकनीकी आधारित आउट सोर्सिंग कंपनी बैकोप्स सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक बन गए.

2004 में राजनीति में प्रवेश

राहुल साल 2004 में राजनीति में आए जहां उन पर नेहरू गांधी परिवार के विरासत के रूप में कांग्रेस पार्टी को संभालने के सवाल का सामना लागातर करना पड़ा.  मई 2004 में उन्होंने उत्तरप्रदेश में अपने पिता की संसदीय सीट अमेठी  से चुनाव लड़ा और लोकसभा के सदस्य के तौर पर राजनैतिक जीवन की शुरुआत की.
36 viewsHARSH , edited  04:45
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