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5. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय: ऐसे प्रत्यय जो शब्द में लगने के बा | हिन्दी साहित्य / Hindi Literature

5. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय:

ऐसे प्रत्यय जो शब्द में लगने के बाद शब्द को गुणवाचक बना दे, वे प्रत्यय गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।

गुणवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण :

भूख , प्यास , ठंड , मीठ + आ = भूखा , प्यासा , ठंडा , मीठा आदि ।
शरीर , नगर , इतिहास + इक = शारीरिक , नागरिक , ऐतिहासिक आदि ।
पक्ष , धन , लोभ , क्रोध , गुण , विद्याथ , सुख , ज्ञान , जंगल + ई = पक्षी , धनी , लोभी , क्रोधी , गुणी , विद्यार्थी , सुखी , ज्ञानी , जंगली आदि ।
शाप , पुष्प , आनन्द , क्रोध + इत = शापित , पुष्पित , आनन्दित , क्रोधित आदि ।
चमक , भडक , रंग , सज + ईला = चमकीला , भडकीला , रंगीला , सजीला आदि ।
वांछन , अनुकरण , भारत , रमण + ईय = वांछनीय , अनुकरणीय , भारतीय , रमणीय आदि ।
बुद्धि , शक्ति , गति , आयुष + मान = बुद्धिमान , शक्तिमान , गतिमान , आयुष्मान आदि ।
जैसा कि हम उप दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं की यहाँ पहले शब्द भिन्न थे वे संज्ञा के अंतर्गत थे। फिर हमने इत, मान आदि प्रत्ययो को उन शब्दों के साथ जोड़ा। जैसे ही वे प्रत्यय शब्द के साथ जुड़े वैसे ही वे शब्द भी बदल गए एवं उनके अर्थ भी बदल गए। अतः ये उदाहरण गुणवाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आएंगे।

6. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय:

ऐसे प्रत्यय जिनसे हमें किसी स्थान का बोध हो वे प्रत्यय स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:

स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण :

डेरे , दिल्ली , बनारस , सुरत , चाय + वाला = डेरेवाला , दिल्लीवाला , बनारसवाला , सुरतवाला , चायवाला आदि ।
पटना , मुम्बई , नागपुर , जयपुर + इया = पटनिया , मुम्बईया , नागपुरिया , जयपुरिया आदि ।
गुजरात , पंजाब , बंगाल , जर्मन + ई = गुजरती , पंजाबी , बंगाली , जर्मनी आदि ।
कलक , तिरहु + तिया = कलकतिया , तिरहुतिया आदि ।
सर्व , यद , तद + त्र = सर्वत्र , यत्र , तत्र आदि ।

7. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय

जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण :

पीला , नीला , काला + सा = पीला सा , नीला सा , काला सा आदि ।
सुन , रूप + हरा = सुनहरा , रूपहरा आदि ।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हिं ये जो मुख्या शब्द थे वे हमें पहले किनहीं रगों का बोध करा रहे थे लेकिन जब हमने उन शब्दों में प्रत्यय मिलाये तब उन शब्दों में परिवर्तन आ गया। ये शब्द अब हमें समानता का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।

8. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय

ऐसे प्रत्यय जिनसे हमें किसी वास्तु व्यक्ति आदि कि लघुता, प्रियता, हीनता आदि का बोध हो वह प्रत्यय ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:

ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण :

टोप , कोठर , टोकन , ढोलक , मण्डल , टोकरा , पहाड़ , घन + ई =टोपी , कोठरी , टोकनी , ढोलकी , मण्डली , टोकरी , पहाड़ी , घण्टी आदि ।
पाग , टूक , टांग + डी = पगड़ी , टुकड़ी , टंगड़ी आदि ।
खाट , साँप + ओला = खटोला , संपोला आदि ।
ढी , लोटा , डिबा , खाट + इया = बुढिया , लुटिया , डिबिया , खटिया आदि ।
जैस कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं, पहले जो मुख्या शब्द थे वे भिन्न थे एवं उनका कुछ और अर्थ निकल रहा था। फिर हमने उन शब्दों में प्रत्यय जोड़े, फिर वे शब्द परिवर्तित हो गए।

उन शब्दों का अर्थ भिन्न हो गया। अब ये शब्द हमें लघुता, प्रियता, हीनता आदि का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगें।