1. कर्तृवाचक कृदंत प्रत्यय ऐसा शब्द जो प्रत्यय से बना हुआ हो | हिन्दी साहित्य / Hindi Literature
1. कर्तृवाचक कृदंत प्रत्यय
ऐसा शब्द जो प्रत्यय से बना हुआ हो एवं उससे कर्ता का पता चले, ऐसे प्रत्यय कर्तृवाचक कृदंत कहलाते हैं। जैसे:
कर्त्तुवाचक कृदंत प्रत्यय के उदाहरण:
अक = लेखक , नायक , गायक , पाठक
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं की यहाँ पहले शब्द था लेख लेकिन जब इस शब्द में अक प्रत्यय मिलाया गया तो यह बन गया लेखक। इस शब्द से हमें कर्ता का पता चल रहा है। अतः यह कर्त्तुवाचक कृदंत के अंतर्गात्त आयेगा।
अक्कड = भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़
आक = तैराक , लडाक
आलू = झगड़ालू
आकू = लड़ाकू , कृपालु , दयालु
आड़ी = खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि यहाँ पहले शब्द भिन्न होते हैं। जैसे ही इनमें ये प्रत्यय लगाए जाते हिं तो फिर इनके शब्द में एवं अर्थ में दोनों में परिवर्तन आ जाता है। अतः ये उदाहरण कर्त्तुवाचक कृदंत के अंतर्गत आयेंगे।
इअल = अडियल , मरियल , सडियल
एरा = लुटेरा , बसेरा
ऐया = गवैया , नचैया
ओडा = भगोड़ा
वाला = पढनेवाला , लिखनेवाला , रखवाला
हार = होनहार , राखनहार , पालनहार
ता = दाता , गाता , कर्ता , नेता , भ्राता , पिता , ज्ञाता
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आपने देखा पहले प्रत्यय नहीं लगाए जाते तब तो इन शब्दों का अर्थ भिन्न होता है। जैसे पढ़ना शब्द हमें एक क्रिया के बारे में बता रहा है। हमें इससे एक क्रिया का बोध हो रहा है। लेकिन जब इस क्रिया शब्द में वाला प्रत्यय लगाया जाता है तो इसका अर्थ बिलकुल भिन्न हो जाता है। अब यह शब्द हमें पढ़ाई करने वाले के बारे में बता रहा है। इस शब्द से हमें करता के बारे में पता चल रहा है। अतः यह उदाहरण कर्त्तुवाचक कृदंत के अंतर्गत आएगा।
2. कर्मवाचक कृदंत प्रत्यय:
जिन शब्दों में प्रत्यय लगने के बाद वह शब्द कर्म का बोध कराये, वह प्रत्यय कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे:
कर्मवाचक कृदंत प्रत्यय के उदाहरण:
औना = बिछौना , खिलौना
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं, यहाँ पहले जो मुख्या शब्द थे वे किसी क्रिया का बोध करा रहे थे जैसे खेलना बिछाना आदि। जब उन शब्दों में प्रत्यय लगाए गए जैसे औना प्रत्यय लगाए गए तो इन प्रत्यय कि वजह से वे शब्द परिवर्तित हो गए। प्रत्यय कि वजह से उन शब्द का अर्थ भी भिन्न हो गया। अब ये शब्द कर्म का बोध करा रहे है क्रिया का नहीं। अतः यह उदाहरण कर्मवाचक कृदंत के अंतर्गत आएगा।
ना = सूँघना , पढना , खाना
नी = सुँघनी , छलनी
गा = गाना ।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं कि यहाँ पहले जो शब्द थे वे हमें किसी ना किसी क्रिया का बोध करा रहे थे जैसे सूंघ आदि। इनसे हमें क्रिया का पता चल रहा था। लेकिन जैसे ही हमने उन शब्दों में प्रत्यय लगाए वैसे ही उनका अर्थ बदल गया। अब ये शब्द क्रिया का बोध कराने की बजाये ये अब हमें कर्म का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण कर्मवाचक कृदंत के अंतर्गत आयेंगे।