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हिंदी मंच - सकारात्मक भाव

टेलीग्राम चैनल का लोगो hindi_manch — हिंदी मंच - सकारात्मक भाव
टेलीग्राम चैनल का लोगो hindi_manch — हिंदी मंच - सकारात्मक भाव
चैनल का पता: @hindi_manch
श्रेणियाँ: शिक्षा
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 1.90K
चैनल से विवरण

अगर आप रोजमर्रा की भागम भाग ज़िन्दगी से परेशान हो और आसान उपाय की खोज में हो,
तो हम आपकी दिमाग की थकान का एकदम सटीक इलाज करेंगे,
जी हां हमारे पोस्ट आपको कभी थकान महसूस नहीं होने देंगे, और जीवन में सफल होने के लिए कारगर साबित होंगे।

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नवीनतम संदेश 24

2022-04-21 11:19:51
Sachhe rishtey kuch nhi
Mangte
Siwa izzat aur waqt ke

─❀⊰╯ join @hindi_manch @anand_bhav
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199 viewsedited  08:19
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2022-04-21 06:34:42
Happiness will never come to those
who don't appreciate what they already have...

Good morning

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215 views03:34
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2022-04-20 20:03:47
Kaha to such he hai

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234 views17:03
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2022-04-20 10:29:01
अगर आप सास हैं

तो अपनी बहु को इतना प्रेम दें, इतना प्रेम दें
कि बहु अपने पीहर के फ़ोन नंबर ही भूल जाये ।।

अगर आप बहु हैं

तो अपनी सास को इतना आदर करें
की सास अपनी बेटी का नाम लेना ही भूल जाये ।।

अगर आप बाप हैं

तो अपने बेटे को ऐसे संस्कार दें,
ऐसे संस्कार दें कि आपके नाम की पहचान उसके नाम से हो ।।

अगर आप बेटे हैं

तो ऐसा जीवन जीये,
ऐसा जीवन जीये की
दुनियां तुम्हारे माँ बाप से पूछे की आखिर किस तपस्या के फल से तुमने ऐसा होनहार बेटा पाया है..!!

─❀⊰╯ join @hindi_manch @anand_bhav
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272 views07:29
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2022-04-20 03:48:14
Can you find it

Good morning

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268 views00:48
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2022-04-19 19:55:58
एक #स्त्री जब श्रृंगार करती है तब वह सबसे कम समय परन्तु सर्वाधिक एकाग्रता अपनी #बिंदी लगाते वक्त रखती है। वह आइने में एक नजर में जान जाती है कि भौहों के बीच कहां बिंदी जचेगी।
परन्तु रात में वो स्त्री उसी बिंदी को आइने पर चिपका देती है, या फिर बेड के किसी कोने पर। अगर नहीं चिपका पाती है तो वही बिंदी तकिए पर लग जाती है, और वहां से बच गई तो उसे आप बाथरूम के फर्श पर अपनी पकड़ खोते हुए बहते हुए पा सकते है।
है तो आखिर एक बिंदी ही ना, जो हर सुबह नई होकर परिचित #माथे पर लग जाती है, फिर भी एक स्त्री का बिंदी से मोह भंग नहीं होता।
यह कोई बिंदी दर्शन नहीं है। यह कुछ और ही है..
सोचिए स्त्री को बिंदी से इतनी #मुहब्बत क्यों हुई, वो भी उस बिंदी से जो हर सुबह बदल दी जाएगी।
असल में वो मुहब्बत है उसके #प्रियतम के प्रति, अपने मान के प्रति, अपने सम्मान के प्रति..
बिंदी तो सिर्फ एक बहाना है क्योंकि भारतीय स्त्रियां खुल कर प्यार जता नहीं पाती, परन्तु वो बताना चाहती है कि हर रोज बदलने वाली बिंदी पर मेरा इतना ध्यान है तो फिर प्रियतम तुम तो मेरे अर्धांग हो..

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293 views16:55
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2022-04-19 12:57:58 विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में
तो उतनी ही प्रेम में होती हैं
जितनी होती हैं कुँवारी लड़कियां
प्रेम कुँवारेपन और विवाह को नहीं जानता
केवल मन के दर्पण को देखता
मन के राग को सुनता है

विवाहित स्त्रियाँ भी समाज से डरते हुए
करती जाती हैं प्रेम
किसी अमर बेल की तरह
क्योंकि प्रेम के बीज बोये नहीं जाते
वे स्वत ही हृदय की नम सतह पाकर
कभी भी कहीं भी किसी क्षण
प्रेम बनकर अंकुरित हो उठते हैं

प्रेम में हो जाती हैं वे भी
सोलह सत्रह बरस की कोई नयी सी उमंग
ललक उठता है उनका भी मन
प्रेमी की एक झलक पाने को
दैहिक लालसा से परे होता है उसका प्रेम
वे आलिंगन के स्पर्श से ही मात्र
आत्मा के सुख में प्रवेश कर जाती है

वे भी बिसरा देती है अपना हर एक दुख
प्रेमी की आँखों में डूबकर
उसकी हर आहट से हो जाती है वो मीरा
तार तार बज उठता है उसके मन का संगीत

प्रेमी की एक आवाज से
सोलहवें सावन सा मचल उठता है
भावनाओं का बादल
खिल उठती है वह पलाश के चटक रंगों की तरह
लहरा उठती है उसकी खुशियां
बसंत के पीले फूलों की फसलों की तरह

नहीं चाहतीं वह अपने प्रेम पर
समाज का कोई भी लांछन
नहीं चाहती कोई कुल्टा कहकर
उसके प्रेम का करे अपमान
बनी रहना चाहती है अपने बच्चों सबसे अच्छी माँ
और पति की कर्तव्यनिष्ठ पत्नी
वह विवाह के सामाजिक बंधनों के दायित्वों से
नहीं फेरना चाहती अपने कदम

वह बनी रहना चाहती है
अपनी इच्छाओं के समर्पण से एक सुंदर मन की स्त्री
जैसे बनी रहना चाहती है कुँवारी लड़कियाँ
अपने भाई की लाडली बहन
और माँ बाप की समझदार बेटी
अपने प्रेमी की होने के सपनों के साथ

विवाहित स्त्रियाँ भी अपने प्रेमी का हर दुख
अपने आँचल में छुपा लेना चाहती है
अपनी हर प्रार्थना में करती हैं
उनके सुख की कामना के लिए आचमन
परन्तु कुँवारी प्रेमिकाओं की तरह
उसके सपनों की कोई मंजिल नहीं होती

वह अपने सपनों में जीना चाहती है
अपने प्रेमी के साथ एक पूरा जीवन
गाड़ी के दो पहिए की तरह चलता है
उसका प्रेम और उसकी गृहस्थी

रात के बैराग्य मठ पर नितांत अकेले
वे पति की पीठ पर देखती हैं प्रेमी का चेहरा
पाना चाहती है प्रेमी की भावनाओं में
अपनेपन की छाँव और जीवन की विषमताओं में
उसकी सरलता का साथ।

कुँवारी लड़कियाँ प्रेमी के संग
बंधना चाहती है परिणय सूत्र में
जबकि विवाहिता स्त्रियाँ प्रेमी को नहीं चाहती खोना
बंध जाना चाहती है विश्वास के अटूट बंधन में
वे विवाहिता होने की ग्लानि में
प्रेम की आहूति नहीं देती
बल्कि संसार की सारी प्रेमिकाओं की तरह
अपने प्रेमी को मन प्राण से करती जाती है प्रेम

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2022-04-19 12:57:17
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2022-04-19 06:44:17
मकड़ी
भी उतना नहीं उलझती अपने बनाए जाले में। जितना इंसान उलझता है अपने बुनें ख्यालों में।

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2022-04-18 17:15:49
रोना बंद करो...
और अपनी तकलीफों से खुद लड़ना सीखो...
क्योंकि साथ देने वाले भी शमशान
से आगे नहीं जाते...

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