Get Mystery Box with random crypto!

 सन्धि संधि की परिभाषा – दो वर्णों के मेल को संधि कहते | "सामान्य हिंदी क्विज ग्रुप™

 सन्धि


संधि की परिभाषा – दो वर्णों के मेल को संधि कहते है |
Just
उदाहरण – विद्या + अर्थी = विद्यार्थी ( इसमें विद्यार्थी संधि है )

संधि विच्छेद – संधि किये गये शब्दों को अलग अलग करके पूर्व की तरह करना ही संधि विच्छेद कहलाता है |

जैसा कि हम जानते है कि दो वर्णों के मेल को संधि कहते है ऊपर के उदाहरण से स्पष्ट है ‘ विद्यार्थी ‘ संधि है | विद्यार्थी को ‘विद्या’ + ‘अर्थी’ अलग –अलग कर देने की प्रक्रिया ही संधि विच्छेद कही जाती है | अत: विद्या + अर्थी संधि विच्छेद है |

संधि का अर्थ – संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ है – जोड़ अथवा मेल |’संधि’ शब्द का अर्थ व्यापक अर्थों में लिया जाता है ,परंतु यहाँ संधि शब्द का अर्थ वर्णों के मेल और विच्छेद से होता है | दो वर्णों का जो मेल या जोड़ होता है वह नियमों के अधीन होता है | संधि के नियम बने हुए है | जिसके अधीन संधि की जाती है |संधि में भाषा के नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है | हिंदी भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता है | अत: संस्कृत के नियमों का पालन किया जाता है |

संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं –
2. व्यंजन संधि
 
1. स्वर संधि – दों स्वरों के मेल से जो संधि होती है ,उसे स्वर संधि कहते है |

 

स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के निम्न भेद है :-

1. दीर्घ संधि


इसकों इस प्रकार समझ सकते है –

अ , आ + अ , आ = आ
इ , ई + इ , ई = ई
दीर्घ संधि के उदाहरण –

 संधि विच्छेद         संधि
पुस्तक + अर्थी = पुस्तकार्थी
सूर्य +अस्त = सूर्यास्त
वेद +अन्त = वेदान्त
उत्तम+ अंग = उत्तमांग
राम + अयण = रामायण
धन + अर्थी = धनार्थी
शब्द + अर्थ = शब्दार्थ
अद्य + अवधि = अद्यावधि
महा + आलय = महालय
हिम + आलय = हिमालय
देव + आलय = देवालय
नित्य+ आनंद = नित्यानंद
कमल + आसन = कमलासन
आज्ञा + अनुपालन = आज्ञानुपालन
राम + आश्रय = रामाश्रय
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
शिक्षा +अर्थी = शिक्षार्थी
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
शिव + आलय = शिवालय
गिरि + इंद्र = गिरीन्द्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
गिरि + ईश = गिरीश
कवि + इंद्र = कवींद्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
मही + ईश = महीश
भारती + ईश्वर = भारतीश्वर
मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
भानु + उदय = भानूदय
मंजु + ऊषा = मंजूषा
विधु + उदय = विधूदय
स्वयंभू + उदय = स्वयंभूदय
भू + उत्तम = भूत्तम


 संधि विच्छेद     संधि
शुभ + इच्छु = शुभेच्छु
पूर्ण + इंद्र = पुर्णेंद्र
परम + ईश्वर = परमेश्वर
दिन + ईश = दिनेश
नर + उत्तम = नरोत्तम
गंगा+ ऊर्मि = गंगोर्मि
राज + ऋषि = राजर्षि
महा + ऋण = महर्ण

3. वृद्धि संधि – [ सूत्र – वृद्धिरेचि ] – यदि अ या आ के बाद ए या ऐ आवे तो दोनों के स्थान पर ‘ ऐ ‘ हो जाता है तथा अ या आ के बाद ओ या औ आवें तो दोनों के स्थान पर ‘ औ ‘ आदेश हो जाता है |इस नियम प्रक्रिया को वृद्धि संधि कहते है |

अद्य + एव = अद्यैव
देव +ऐश्वर्य = देवैश्वर्य
सर्वदा +एव = सर्वदैव
उष्ण + ओदन = उष्णौदन
जल + ओस = जलौस
परम + औदार्य = परमौदार्य
 
4. यण संधि [ सूत्र- इको यणचि ] – यदि हृस्व या दीर्घ इ ,उ ,ऋ ,लृ के बाद कोई भी असमान स्वर आये तो उसके स्थान पर क्रमश: य् ,व् ,र ,ल् हो जाता है |
उ या ऊ + कोई असमान स्वर = व्
ऋ या ॠ + कोई असमान स्वर = र्

यण संधि के उदाहरण –
उपरि+ उक्त = उपर्युक्त
अति + उक्ति = अत्युक्ति
अति + आनंद = अत्यानंद
दधि + ओदन = दध्योदन
नदी + आमुख = नद्यामुख
सखी + एक्य = सख्यैक्य
देवी +आलय = देव्यालय
देवी+ उक्ति = देव्युक्ति
देवी + ओज = देव्योज
सु + आगत = स्वागत
मधु + आलय = मध्वालय
अनु + आदेश = अन्वादेश
 
5. अयादि संधि –[ सूत्र – एचोsयवायाव: ] – यदि ए ,ऐ ,ओ, औ, के बाद कोई असमान स्वर आवे तो ए, ऐ, ओ, औ के स्थान पर क्रम से अय् ,आय् , अव् , आव् हो जाता है | जैसे – ने + अन = नयन
इसको इस प्रकार समझा जा सकता है –
औ + कोई असमान स्वर = आव्
अयादि संधि के उदाहरण –

संधि विच्छेद संधि
पौ + अक = पावक