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मुहावरों के अर्थ और प्रयोग 1. अंकुश रखना-नियंत्रण में रखा। आज, | हिंदी व्याकरण साहित्य | Hindi Grammar Sahitya

मुहावरों के अर्थ और प्रयोग
1. अंकुश रखना-नियंत्रण में रखा।
आज, समर्थ एवं योग्य नेता ही अपनी पार्टी के सदस्यों पर अंकुश रख पाता है।
2. अंगारे उगलना-जली कटी सुनाना।
भरी बस में चाकू दिखाते हुए राकेश की जेब काटकर जेबकतरा जब चला गया तो राकेश ने चुपचाप देखते रहे बस के लोगों पर खूव अंगारे उगले।
3. अंगारों पर चलना-खतरा मोल लेना।
भारत के सभी सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए अंगारों पर चलने से भी कभी नहीं घबराते।
4. अंगूठा दिखाना-ऐन मौके पर मना कर देना।
धोखेबाज़ लोग किसी भी तरह का काम पड़ने पर अंगूठा दिखा देते है।
5. अंधे की लाठी-बुढ़ापे का सहारा या एकमात्र सहारा।
प्रत्येक पुत्र को अपने माता-पिता के लिए अंधे की लाठी बनना चािहए।
6. अंधेरे घर का उजाला-इकलौता बेटा या एकमात्र सहारा।
प्रोफेसर साहब के लिए तो अब केवल हिमांशु ही अंधेरे घर का उजाला है।
7. अंधाधुंध लुटाना-बिना सोचे समझे खर्च करना।
आज के युग में अंधाधुंध लुटाना भविष्य के दिवालियेपन का ही सूचक है।
8. अक्ल के घोड़े दौड़ाना-बहुत दूर तक सोचना।
जीवन की प्रत्येक परीक्षा में अक्ल के घोड़े दौड़ने पर ही सफलता हासिल होती है।
9. अक्ल का दुश्मन-मूर्ख या बेवकूफ
अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारनेवाले को अक्ल का दुश्मन ही कहा जा सकता है।
10. अपना उल्लू सीधा करना-अपना काम निकालना या स्वार्थ सिद्ध करना।
आज हमारा दुर्भाग्य है कि देश के अधिकांश नेता समाज एवं राष्ट्र की चिनता न कर केवल अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।
11. अपने पैरों पर कुलहाड़ी मारना-स्वयं अपना नुकसान करना।
नशीले पदार्थों का सेवन करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना ही है।
12. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-अपनी प्रशंसा आप ही करना।
कर्मठ एवं गंभीर व्यक्तियों को अपने मुँह मियाँ मिटठू बनना शोभा नहीं देता।
13. अपनी खिचड़ी अलग पकाना-सबसे अलग रहना।
संगठन की ताकत तभी कमज़ोर होती है जब कुछ लोग अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगते हैं।
14. अपने पैरों पर खड़ा होना-स्वावलंबी होना या आत्मनिर्भर बनना।
आज के इस वैज्ञानिक युग में हमारी पूरी कोशिश होनी चाहिए कि भारत भी अन्य कुद देशों की परह ही अपने पैरों पर पूरी तरह से खड़ा हो सके।
15. आँखे खुल जाना-सच्चाई जानकर सावधान होना।
दिन-रात पढ़ते रहने का बहाना बनाने वाले पुत्र के परीक्षा में फेल होने पर पिता की आँखें खुल गईं।
16. आँखों का तारा होना-अत्यंत प्रिय होना।
होनहार बच्चे सदैव अपने माता-पिता की आँखों के तारे होते हैं।
17. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना या मूर्ख बनाना।
आजकल अधिकांश व्यापारी खाने-पीने की चीज़ों में मिलावअ कर ग्राहकों की आँखों में धूल झोंक रहे हैं।
18. आसमान के तारे तोड़ना-असंभव कार्य को संभव बनाना।
वीर योद्धा आसमान के तारे तोड़ने में सदैव आगे तथा तत्पर रहते हैं।
19. आकाश-पाताल एक कर देना-कोई कसर न रखना या कोई प्रयत्न शेष न रखना।
सुधीर ने अपनी माता जी का इलाज कराने में आकाश-पाताल एक कर दिया।
20. आग में घी डालना-क्रोध को और भड़काना।
आग में घी उालने वालों से दैनिक जीवन में सदैव सावधान रहना चाहिए।
21. आग बबूला होना-अत्यंत क्रोधित (कुपित) होना।
अपने ही समर्थकों द्वारा शत्रु के साथ समझौता करने की सूचना मिलने पर दीपक आग बबूला होने लगा।
22. आटे दाल का भाव मालूम होना-होश ठिकाने आ जाना या वास्तविकता का पता च जाना।
विवाह करने पर रवीन्द्र जब कल्पना-लोक से यथार्थ में आया तो उसे आटे दाल का भाव मालूम हो गया।
23. आस्तीन का साँप होना-ऊपर से मित्र तथा भीतर से शत्रु होना या भीतर घुस कर हानि पहुँचाना।
स्वार्थी लोग आस्तीन के साँप होते हैं अतः उनसे सावधान रहना चाहिए।
24. ईंट का जवाब पत्थर से देना-आक्रमणकारी को मज़ा चखाना।
भारत के सैनिकों ने युद्ध के मैदान में शत्रु को सदैव ईंट का जवाब पत्थर से ही दिया है।
25. ईंट से ईंट बजाना-नष्ट-भ्रष्ट कर देना।
उसे सीधा समझ कर मत छेड़ो, वह बड़ों-बड़ों की ईंट से ईंट बजा सकता है।
26. ईद का चाँद होना-दर्शन दुर्लभ होना।
आजकल परीक्षा के दिन हैं इसीलिए तुम इ्रद के चाँद हो गए हो।
27. उंगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना-थोड़ी सी एील मिलते ही पूरा अधिकार जमाने की चेष्टा करना।
जीवन को मैंने घर में आने-जाने का बढ़ावा क्या दिया, वह उंगली पकड़कर पहुँचा भी पकड़ने की ताक में है।
28. उल्टी गंगा बहाना-परम्परा के विरुद्ध कार्य करना।
आजकल घर-घर में उल्टी गंगा बह रही है। बेटे तो आराम करते हैं और पिता काम करते हैं।
29. उल्लू बनाना-मूर्ख बनाना
लड़कों ने श्याम से मिठाई खाकर उसे खूब उल्लू बनाया।
30. एक और एक ग्यारह होना-संगठन में शक्ति होना।
देखो, हर समय पड़ोसी से बना के रखो, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
31. कंधे से कंधा मिलाकर चलना-एक-दूसरे का साथ देना।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दू-मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर चले, तभी तो सफलता मिली।
32. कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या से अत्याधिक दुःखी होना।
धर्मेन्द्र के प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने