आओ दिसम्बर को रुख़सत करें
कुछ खुशियों को संभाल कर
कुछ आंसुओं को टाल कर
जो लम्हे गुज़रे चाहतों में
जो पल बीते रफाक़तों में
कभी वक़्त के साथ चलते-चलते
जो थक के रुके रस्तों में
कभी खुशियों की उम्मीद मिली
कभी बिछड़े हुओं की दीद मिली
कभी बेपनाह मुस्कुरा दिये
कभी हंसते-हंसते रो दिये
उन सारे लम्हों को मुख़्तसर करें
आओ दिसम्बर को रुख़सत करें।
2022 की हार्दिक बधाई।