आज का श्लोक : विषादप्यमतं ग्राह्मममेध्यादपि काञ्चनम्। नीचादप्य | Chanakya Neeti
आज का श्लोक : विषादप्यमतं ग्राह्मममेध्यादपि काञ्चनम्। नीचादप्युत्त्मा विद्या स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।।
श्लोक का अर्थ : विष में भी यदि अमृत हो तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। अपवित्र और अशुद्ध वस्तुओं में भी यदि सोना अथवा मूल्यवान वस्तु पड़ी हो तो वह भी उठा लेने के योग्य होती है। यदि नीच मनुष्य के पास कोई अच्छी विद्या, कला अथवा गुण हैं तो उसे सीखने में कोई हानि नहीं। इसी प्रकार दुष्ट कुल में उत्पन्न अच्छे गुणों से युक्त स्त्री रूपी रत्न को भी ग्रहण कर लेना चाहिए।