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आज का ज्ञान : शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे। साधवो न | Chanakya Neeti

आज का ज्ञान :
शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।
साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने।।


श्लोक का अर्थ :
सभी पहाड़ों पर रत्न और मणियां नहीं मिलती। न ही प्रत्येक हाथी के मस्तक में गजमुक्ता नामक मणि होती है। प्रत्येक वन में चंदन भी उत्पन्न नहीं होता। इसी प्रकार सज्जन पुरुष सब स्थानों पर नहीं मिलते।

श्लोक का भावार्थ :
आचार्य चाणक्य के अनुसार प्रत्येक स्थान पर सब कुछ उपलब्ध नहीं होता। विशिष्ट वस्तुएं विशेष स्थानों पर ही होती है। उन्हें वही ढूंढना चाहिए और उसी के अनुसार उनका मूल्यांकन भी करना चाहिए।

माणिक्य एक लाल रंग का बहुमूल्य रत्न होता है जो सभी पर्वतों पर अथवा खानों में प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसी मान्यता है कि विशिष्ट हाथियों के माथे में एक बहुमूल्य मोती होता है। सब जंगलों और वनों में चंदन के वृक्ष जिस प्रकार नहीं मिलते, उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी सभी स्थानों पर दिखाई नहीं देते अर्थात श्रेष्ठ वस्तुएं मिलनी दुर्लभ होती है।


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