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SSC, BANK, RAILWAY, CTET, UPTET, SUPER TET & State Exam.....

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नवीनतम संदेश 7

2023-04-21 17:48:43 प्यारे विद्यार्थियों,

आप सभी को सूचित किया जाता है कि कल, 22 अप्रैल को ईंद त्योहार के उपलक्ष्य में कोचिंग में अवकाश रहेगा।
सभी कक्षाएं स्थगित रहेंगी।
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इस ईंद आपकी हर दुआ कुबूल हों!

- आशीष पांडेय

(कैरीयर कोचिंग प्वाइंट)
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2023-04-20 15:20:15 Share UPTET (Paper & Answer Key).pdf
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2023-04-20 11:00:19 Emailing SSC MTS PAPER & Answer Key (19-04-2023).pdf
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2023-04-19 21:57:54 आज CAREER COACHING POINT के UPTET बैच में टेस्ट लिया गया है, जिसका रिजल्ट इस PDF के माध्यम से दिया जा रहा है।

स्टुडेंट्स चेक करें।

#UPTET
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2023-04-19 20:13:35 आज CAREER COACHING POINT में 90 प्रश्नों का टेस्ट लिया गया है, जिसका रिजल्ट इस PDF के माध्यम से दिया जा रहा है।

स्टुडेंट्स चेक करें।

#90MCQs
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2023-04-19 19:33:12 ऊपर दिए गए मन्दिर वास्तुकला से संबंधित तथ्य SUPERTET के स्टुडेंट्स नोट कर लें।
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2023-04-19 18:48:00 बेसर शैली (कला और संस्कृति)

नागर और द्रविड़ शैलियों के मिले-जुले रूप को बेसर शैली कहते हैं।
इस शैली के मंदिर विंध्याचल पर्वत से लेकर कृष्णा नदी तक पाए जाते हैं।
बेसर शैली को चालुक्य शैली भी कहते हैं।
बेसर शैली के मंदिरों का आकार आधार से शिखर तक गोलाकार (वृत्ताकार) या अर्द्ध गोलाकार होता है।
बेसर शैली का उदाहरण है- वृंदावन का वैष्णव मंदिर जिसमें गोपुरम बनाया गया है।
गुप्त काल के बाद देश में स्थापत्य को लेकर क्षेत्रीय शैलियों के विकास में एक नया मोड़ आता है।
इस काल में ओडिशा, गुजरात, राजस्थान एवं बुंदेलखंड का स्थापत्य ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
इन स्थानों में 8वीं से 13वीं सदी तक महत्त्वपूर्ण मंदिरों का निर्माण हुआ।
इसी दौर में दक्षिण भारत में चालुक्य, पल्लव, राष्ट्रकूटकालीन और चोलयुगीन स्थापत्य अपने वैशिष्ट्य के साथ सामने आया।

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2023-04-19 18:46:32 द्रविड़ शैली (कला व संस्कृति)

ृष्णा नदी से लेकर कन्याकुमारी तक द्रविड़ शैली के मंदिर पाए जाते हैं।
द्रविड़ शैली की शुरुआत 8वीं शताब्दी में हुई और सुदूर दक्षिण भारत में इसकी दीर्घजीविता 18वीं शताब्दी तक बनी रही।
द्रविड़ शैली की पहचान विशेषताओं में- प्राकार (चहारदीवारी), गोपुरम (प्रवेश द्वार), वर्गाकार या अष्टकोणीय गर्भगृह (रथ), पिरामिडनुमा शिखर, मंडप (नंदी मंडप) विशाल संकेन्द्रित प्रांगण तथा अष्टकोण मंदिर संरचना शामिल हैं।
द्रविड़ शैली के मंदिर बहुमंजिला होते हैं।
पल्लवों ने द्रविड़ शैली को जन्म दिया, चोल काल में इसने उँचाइयाँ हासिल की तथा विजयनगर काल के बाद से यह ह्रासमान हुई।
चोल काल में द्रविड़ शैली की वास्तुकला में मूर्तिकला और चित्रकला का संगम हो गया।
यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर (चोल शासक राजराज- द्वारा निर्मित) 1000 वर्षों से द्रविड़ शैली का जीता-जागता उदाहरण है।
द्रविड़ शैली के अंतर्गत ही आगे नायक शैली का विकास हुआ, जिसके उदाहरण हैं- मीनाक्षी मंदिर (मदुरै), रंगनाथ मंदिर (श्रीरंगम, तमिलनाडु), रामेश्वरम् मंदिर आदि।

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2023-04-19 18:44:50 नागर शैली
‘नागर’ शब्द नगर से बना है। सर्वप्रथम नगर में निर्माण होने के कारण इसे नागर शैली कहा जाता है।
यह संरचनात्मक मंदिर स्थापत्य की एक शैली है जो हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत तक के क्षेत्रों में प्रचलित थी।
इसे 8वीं से 13वीं शताब्दी के बीच उत्तर भारत में मौजूद शासक वंशों ने पर्याप्त संरक्षण दिया।
नागर शैली की पहचान-विशेषताओं में समतल छत से उठती हुई शिखर की प्रधानता पाई जाती है। इसे अनुप्रस्थिका एवं उत्थापन समन्वय भी कहा जाता है।
नागर शैली के मंदिर आधार से शिखर तक चतुष्कोणीय होते हैं।
ये मंदिर उँचाई में आठ भागों में बाँटे गए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं- मूल (आधार), गर्भगृह मसरक (नींव और दीवारों के बीच का भाग), जंघा (दीवार), कपोत (कार्निस), शिखर, गल (गर्दन), वर्तुलाकार आमलक और कुंभ (शूल सहित कलश)।
इस शैली में बने मंदिरों को ओडिशा में ‘कलिंग’, गुजरात में ‘लाट’ और हिमालयी क्षेत्र में ‘पर्वतीय’ कहा गया।

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