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नवीनतम संदेश 11

2023-04-13 21:22:30 प्यारे विद्यार्थियों,

आप सभी को सूचित किया जाता है कि कल, 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अंबेडकर जी की जयंती (सरकारी आदेश) पर कोचिंग में अवकाश रहेगा।
सभी कक्षाएं भी स्थगित रहेंगी।
पुनः 15 अप्रैल को सुबह 7 बजे से आपकी क्लासेज संचालित की जाएंगी।https://t.me/CAREERCOACHINGPONT

- कैरीयर कोचिंग प्वाइंट

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2023-04-13 06:49:28
जलियांवाला बाग से संबंधित तथ्य!
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2023-04-13 04:01:45
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2023-04-13 04:01:20 जलियांवाला बाग हत्याकांड, आइए विस्तृत में समझते हैं

जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास में एक कलंकित घटना है। अमृतसर के जलियांवाला बाग में जब एक भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठी हुई थी, तो ब्रिटिश सरकार ने उस पर गोली चलवा दी थी। जिसमें अनेक निर्दोष और निहत्थे लोग मारे गए थे।
अंग्रेजों की गोली से बचने के लिए अनेक लोग उसी बाग में मौजूद एक कुएँ में कूद गए थे। इसके कारण भी अनेक लोग इस कुख्यात घटना के दौरान मारे गए थे। यह घटना भारतीय इतिहास में ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ के नाम से जानी जाती है।

जलियांवाला बाग हत्याकांड – पृष्ठभूमि

जब लोग रौलेट एक्ट के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे थे, तो 9 अप्रैल, 1919 को दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलु और डॉ. सत्यपाल को ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। परिणाम स्वरूप भारतीयों का एक बड़ा वर्ग उद्वेलित हो उठा था।
फिर अगले ही दिन 10 अप्रैल, 1919 को लोग सत्याग्रहियों पर गोली चलाने तथा राष्ट्रवादी नेताओं को जबरन पंजाब से बाहर भेजने का विरोध कर रहे थे। अंततः यह विरोध हिंसक हो गया और इस हिंसा के दौरान कुछ अंग्रेज भी मारे गए थे।

जलियांवाला बाग हत्याकांड का घटनाक्रम

इस उपद्रव को शांत करने के लिए क्षेत्र में मार्शल कानून लागू किया गया और स्थिति से निपटने की जिम्मेदारी एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर को सौंपी गई। डायर ने 13 अप्रैल, 1919 को एक घोषणा जारी कर कहा कि लोग बिना पास के शहर बाहर न छोड़ें तथा तीन से अधिक लोग एक साथ एकत्रित न हों।
13 अप्रैल को वैसाखी के दिन डायर की घोषणा से अनजान लोगों का एक समूह वैसाखी मनाने के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित हुआ था। इसी स्थल पर कुछ स्थानीय नेताओं ने भी विरोध सभा का आयोजन किया था।
इस दौरान विरोध प्रदर्शन और त्यौहार का आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। इस अवसर पर रौलेट अधिनियम की समाप्ति संबंधी और 10 अप्रैल की गोलीबारी की निंदा संबंधी दो प्रस्ताव पारित किए गए।
लेकिन जनरल डायर ने इस सभा को सरकारी आदेश की अवहेलना मानकर बिना किसी पूर्व चेतावनी के वहाँ जमा लोगों पर गोलियाँ चलवा दीं तथा वहाँ से निकासी के सभी मार्ग बंद कर दिए।
ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए इस निर्मम दमन के कारण लगभग 1000 लोग मारे गये। इस दौरान मरने वालों में युवा, महिलाएँ, वृद्ध, बच्चे सभी उम्र के लोग शामिल थे। इस निर्लज्ज व कुख्यात जलियांवाला बाग हत्याकांड से पूरा देश सन्न रह गया था। यह एक हिंसक जानवर द्वारा अपने शिकार के प्रति की जाने वाली क्रूरता से भी अधिक दर्दनाक कृत्य था। सम्पूर्ण देश में इस बर्बर हत्याकांड की निंदा की गई थी।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के परिणाम या इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया

जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइटहुड’ की उपाधि का त्याग कर दिया था। इसके अलावा, वायसराय की कार्यकारिणी के भारतीय सदस्य शंकरराम नागर ने कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था।
इस कुख्यात हत्याकांड की घटना से पहले तक तो सभी स्थानों पर सत्याग्रह शांतिपूर्ण तरीके से संचालित किया जा रहा था, लेकिन इस हत्याकांड के बाद देश के अनेक स्थानों पर सत्याग्रहियों ने अहिंसा का परित्याग कर दिया और हिंसा का मार्ग अपना लिया।
इसके चलते गाँधी जी ने 18 अप्रैल, 1919 को सत्याग्रह को समाप्त करने की घोषणा कर दी थी क्योंकि गाँधी जी का मत था कि सत्याग्रह में हिंसा का कोई स्थान नहीं होता है।
एक इतिहासकार ए.पी.जे. टेलर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के विषय में लिखा कि “जलियांवाला बाग जनसंहार भारतीय इतिहास में एक ऐसा निर्णायक मोड़ था कि इसके बाद भारत के लोग ब्रिटिश शासन से अलग हो गए।”
इस कुख्यात हत्याकांड के बाद एक राष्ट्रवादी क्रांतिकारी उधम सिंह ने इसके लिए जिम्मेदार अंग्रेज अधिकारी से बदला लेने की ठानी और उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया। वास्तव में, वर्ष 1919 में हुए पंजाब में विरोध प्रदर्शन को निर्मम तरीके से लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर ने कुचला था। किस अंग्रेज अधिकारी से बदला लेने के लिए उधम सिंह ब्रिटेन चले गए थे और वहां पर उन्होंने लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर की हत्या कर दी थी। इस अपराध के कारण ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1940 में उधम सिंह को दोषी करार देते हुए फांसी दे दी थी। वर्ष 1974 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रवादी क्रांतिकारी उधम सिंह की अस्थियों को भारत लाया गया था।
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2023-04-12 15:56:23 दिसंबर - 2022 में हुए समझौतों की लिस्ट!

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2023-04-12 15:47:54 फीफा पुरुष विश्वकप 2022


आयोजन - कतर
आयोजन दिनांक - 20 नवंबर से 18 दिसंबर 2022
कुल प्रतिभागी टीमें - 32
शुभंकर - लाइब
आदर्श वाक्य - एक्सपेक्ट अमेजिंग
स्लोगन - नाउ इज आल
फुटबॉल का नाम - अल रीहला (अरबी भाषा में अल रीहला का अर्थ है यात्रा अथवा सफ़र)
यह अब तक का पहला शीतकालीन विश्वकप था।
वर्ष 2022 में आयोजित फुटबॉल वर्ल्ड कप प्रतियोगिता का 22 वां संस्करण था।
फाइनल मैच कतर के लूसैल स्टेडियम में खेला गया था।
मोरक्को ने पुर्तगाल को 1-0 से हराकर विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाला पहला अफ्रीकी देश बन गया है।

दीपिका पादुकोण फीफा वर्ल्ड कप की ट्रॉफी लांच करने वाली पहली ग्लोबल स्टार (साथ ही पहली भारतीय) बन गई हैं, इस ट्राफी का डिजाइन लग्जरी ब्रांड लइ विटान ने किया है। दीपिका पादुकोण इस ब्रांड  ब्रांड एंबेसडर हैं।

18 काफी करीब 6.175 किलोग्राम की थी।
3 - 3 से बराबरी होने के बाद अर्जेंटीना ने शूटआउट में 4-2 से हराकर खिताब जीता।
एंबाप्पे दूसरे ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने विश्व कप में कुल 8 गोल दागे हैं। इससे पहले ब्राज़ील के रोनाल्डो ने वर्ष 2002 में यह कारनामा किया था।

विजेता - अर्जेंटीना (तीन बार विजेता)
उपविजेता - फ्रांस (वर्ष 2018 विश्व कप विजेता)
सबसे अधिक विश्व कप विजेता - ब्राजील (5 बार)
गोल्डन बॉल एवं सिल्वर बूट विजेता - लियोनेल मेसी (अर्जेंटीना)
गोल्डन बूट एवं सिल्वर बाल विजेता - किलियन एंबापे (फ्रांस)
युवा खिलाड़ी का पुरस्कार - एजी फर्नांडीज (अर्जेंटीना)
वर्ष 2022 में फीफा रैंकिग में शीर्ष 3 देश
1- ब्राज़ील
2- अर्जेंटीना
3- फ्रांस

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2023-04-12 14:33:44
बिहू लोक नृत्य
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2023-04-12 12:21:45
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2023-04-12 03:12:23
पूरा नाम - महाराणा संग्राम सिंह

जन्म - 12 अप्रैल 1482

शासन काल - 1509ई. से 1528ई.

जन्म स्थान - चित्तौड़गढ़

पिता का नाम - महाराणा रायमल

मृत्यु - 30 जनवरी 1528, कालपी
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2023-04-11 20:20:41
ऑस्ट्रेलिया और जापान से लिए गए प्रावधान
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