Get Mystery Box with random crypto!

Brahmacharya Celibacy ManthanHub (ब्रह्मचर्य)

टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya_celibacy_manthanhub — Brahmacharya Celibacy ManthanHub (ब्रह्मचर्य) B
टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya_celibacy_manthanhub — Brahmacharya Celibacy ManthanHub (ब्रह्मचर्य)
चैनल का पता: @brahmacharya_celibacy_manthanhub
श्रेणियाँ: शिक्षा
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 3.29K
चैनल से विवरण

ब्रह्मचर्य पालन का प्रैक्टिकल तरीका सीखें।

Ratings & Reviews

2.67

3 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

0

4 stars

1

3 stars

1

2 stars

0

1 stars

1


नवीनतम संदेश

2022-08-14 19:37:25 कल सुबह से राजयोग मेडिटेशन का नया बैच शुरू हो रहा है लिंक ये है ग्रुप का



http://T.me/Rajyoga7days

.
1.2K views16:37
ओपन / कमेंट
2022-06-27 08:04:15 एक जरूरी बात : आपके लिए

प्यारें दोस्तो , आपमें अनंत असीमित ताकत भरी पड़ी है ।

स्वामी विवेकानंद जी को ब्रह्मचर्य के बल से ऐसी ताकत प्राप्त हुई जो वो 2 मिनट में हजार पेज की किताब को याद कर लेते थे।

ये ब्रह्चर्य की ताकत इस दुनिया की सबसे ज्यादा पावरफुल ताकत है।

आज टीवी /मोबाइल /इंटरनेट ने हमे इससे दूर कर दिया है। गुलाम बना दिया है ।

विडंबना तो ये है की आज हमे ब्रह्मचर्य का अर्थ भी नही पता। ये हमारा दुर्भाग्य है ।

आप कुछ भी मत करो सिर्फ ब्रह्चर्या का पालन करो तो आप अपने फील्ड के टॉप लोगो में आ सकते हो ।

सबसे पहले पढ़ो समझो क्या है ये ब्रह्मचर्य ,इसके क्या फायदे हैं।

नीचे कुछ बाते भेज रहे है जो आपके जीवन को बरबाद कर रहे है । इनसे बचना है कैसे भी करके ,


खुद को लगा दो मंजिल की तरफ ,गुलाम नही हो तुम ,उठो ,जागो मेरे शेर ,शेरनियो ...


आज के टाइम में ब्रह्मचर्य का खंडन

1 अश्लील साहित्य/किताबे/ब्लॉग पढ़ना
2 अश्लील वीडियो देखना
3 एडल्ट वेब सीरीज देखना
4 यूट्यूब पर वो वीडियो देखना जिन्हे देखकर काम विकार /अश्लील विचार आए
5 यूट्यूब की शॉर्ट वीडियो जो अश्लील हो
6 ऐसे फिल्म के गीत जिन्हे देखकर मन में विपरित लिंग के प्रति आकर्षण उत्पन हो ।
7 अपने दोस्तो से ऐसी कोई भी बात करना जिनसे मन में कामुक विचार आए ।

8 अपने लैपटॉप /मोबाइल में ऐसी स्टोर रखी हुई फोटो /विडियो जिन्हे देख काम विकार जाग जाता है ।

9 कोई ऐसा विपरीत लिंग का पुरुष /स्त्री जिनसे बात/चैटिंग करके काम विकार जाग जाता है ।

10 खाली समय में कामुक कल्पनाएं (fantasies) करना।

इन सब से बचना है ,ये 10 बाते आपके पतन का कारण है ये आपको बरबाद करके छोड़ेगी। इसलिए ये नौबत आए उससे पहले आप इन्हे छोड़ दो ,और अपने इस महान जन्म को सफल करो । तुम साधारण नही हो । तुम महान हो ।

बस एक शुरुआत करो आज से , रोजाना खुद से प्रतिज्ञा करो ,अब गंदी नाली में मुझे नही गिरना है । अब नाली के कीड़े मत बनो जो मल ,मूत्र से भरे मांस के लोथड़े पर लट्टू हो अपनी जिंदगी को गुलामी के नाले में डूबो दे । अब वक्त है इन गुलामी के पिंजरे से बाहर निकलने का ।

आगे के टिप्स आपको जल्द भेजेंगे तब तक जुड़े रहे इस दुनिया के ब्रह्मचर्य के इस सबसे बड़े चैनल से ....

और जानकारी के लिए ज्वाइन करे
https://t.me/+RCBOO24o4PS1h2mj
1.6K views05:04
ओपन / कमेंट
2022-06-03 13:40:28


प्रश्न: जीवन में काम ( सेक्स ) की भावना को कैसे संयमित करें? ऐसी भावनाएँ आती हैं और मन विचलित और कुंठित हो जाता है।
( सैकड़ों बार पूछा गया प्रश्न है, उत्तर बड़ा है लेकिन जरूर पढ़ो )
____
उत्तर:
जीवन ऊर्जा को जब तुम कोई नियंत्रित दिशा नहीं देते हो। तो यह ऊर्जा तुम्हारे आस-पास घटने वाली घटनाओं से प्रेरित होकर एक स्वयं की दिशा तय कर लेती है।

तुम्हारे आस-पास बहुत सी ऐसी घटनायें लगातार होते रहती हैं जिनका तुम्हें ध्यान नहीं रहता लेकिन वह सारी की सारी घटना तुम्हारे मनस पटल पर अंकित होती हैं और प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से तुम्हें प्रभावित करती हैं।

काम भावना भी ऊर्जा की दिशा का ही एक रूप है, जो अधिकांश मित्रों के जीवन में अनियंत्रित घटता है। या तो इस जीवन ऊर्जा का प्रयोग सजगता के साथ एक निश्चित दिशा में किया जाये या अनभिज्ञता से ऊर्जा का प्रवाह अनियंत्रित ही होने दिया जाये।

प्रकृति के हिसाब से मनुष्य इस ऊर्जा को नियंत्रित करने में पूर्णतया सक्षम हो सकता है।

एक इन्सान एक बार में किसी एक ही कार्य को परिपक्वता और तन्मयता से कर सकता है। उदाहरण के लिए खाते समय गा नहीं सकते और गाते समय खा नहीं सकते। ठीक उसी प्रकार तुम पाओगे जब तुम काम भावना से ओत-प्रोत हो जाते हो तो उस वक़्त तुम्हारे सारे काम अपनी प्राथमिकता खो देतें हैं। फिर जैसे ही भावना से वापस आते हो तुम्हें समय की परिस्थिति का एहसास होता है।

काम भावना को बहुत ज्यादा महत्व देने की जरूरत नहीं है। यह भावना ठीक वैसे ही है जैसे क्रोध आना, अहंकार का होना किसी के प्रति प्रेम या नफरत की भावना का उठना। काम की भावना से समाज के स्तर बनी नियमों के कारण तुम्हारे अन्दर कुंठा होने लगती है। क्रोध आदि से उठने वाली भावना से उत्पन्न होने को तुम ज्यादा महत्व नहीं देते हो।

कोई भी भावना हो या तो क्रोध की हो या काम की, अगर यह भावना अनियंत्रित है तो तुम्हारे लिए नुकसानदायक है। अगर तुम बहुत ध्यान पूर्वक देखोगे तो पाओगे जब तुम किसी भी भावना के नियंत्रण में चले जाते तो तुम्हारी साँसे और शरीर का बर्ताव भी उस क्षण के लिए बदल जाता है।

कुछ भावनाएं जैसे कि क्रोध, काम, लोभ आदि...जब इस तरह की भावनाएं उत्पन्न होती हैं तुम्हारे मन और शरीर दोनों अशान्त हो जाते हैं। जब भावना प्रेम, दया, दान की होती है तुम्हारा मन शान्त होता जाता है। इसलिये हर समाज और दर्शन में प्रेम,दया, दान जैसी भावनाओं का समर्थन किया जाता है।

आध्यात्मिक विकास वाले मनुष्यों में स्वयं ही दया, दान आदि भावनाओं का विकास होने लगता है।

अब तुम खुद ही तय कर सकते हो तुम्हारे लिए क्या उचित है और अपने जीवन में कैसी परिस्थिति को ज्यादा चाहते हो ?

अब प्रश्न है कि अशान्त करने वाली भावनाओं को रोका कैसे जाये?

नहीं, यह भावनाएं अचानक से रोकी नहीं जा सकती। अगर ऐसी भावनाओं को अर्थात क्रोध, काम, लोभ आदि भावनाओं को दबाते हो तो यह और प्रबल होकर वापस आती है। ऐसी भावनाओं के जड़ तक जाकर इसका उन्मूलन करना होगा।

मैंने शुरू में ही कहा कि यह उर्जा की एक दशा और दिशा है जो अनियंत्रित है। इसलिये तुम्हें तुम्हारे जीवन की पूरी दिनचर्या पर ध्यान रखना होगा, नियंत्रण रखना होगा। तुम ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते कि सर्दी हटाने को दवा भी खाओ और साथ में आइस्क्रीम भी।

मनुष्य अपने मन और शरीर के स्तर पर होने वाली क्रिया प्रतिक्रिया को नियंत्रण कर सकता है, कुछ साधारण तरीके बता रहा हूँ अपने जीवन में उतार कर देखो परिवर्तन की शुरुआत हो जायेगी।

1. अपने दिनचर्या का पूर्णतया ध्यान रखो, कौन सी ऐसी घटना है जो तुम्हें अनियंत्रित या अशान्त करती है। ऐसी परिस्थिति, स्थान, व्यक्ति आदि से एक संयमित दूरी रखो
2. अपने भोजन की मात्रा और प्रकार पर ध्यान रखो, उदाहरणार्थ: मांसाहार तुम्हें दया की भावना से हमेशा थोड़ा सा दूर रखेगा
3. किस तरह का साहित्य अथवा सिनेमा देखते-पढ़ते हो
4. किस तरह के माहौल में उठते बैठते हो
5. दूसरे को देख कर जीना बन्द कर दो, शान्ति अपने लिए ढूंढ रहे हो दूसरे के लिए नहीं, हमेशा ध्यान रहे
6. ध्यान साधना का अभ्यास करो, ध्यान तुम्हें शान्त, संयमित और नियंत्रित रहना सिखाता है

काम की भावना आने से खुद को कुंठित नहीं करो बस अपने जीवन की ऊर्जा को नियंत्रित करो और एक अच्छी दिशा प्रदान करो। तुम्हारी संकल्प शक्ति और ध्यान साधना का अभ्यास तुम्हारे नियंत्रण के मुल स्तंभ हैं।

तुम्हारा जीवन शान्तिमय हो!!!

Join
@Brahmacharya_Celibacy_ManthanHub
987 views10:40
ओपन / कमेंट
2022-05-21 18:19:21 रात्रि क्रिया

रात्रि को ठीक सोने से पहले हाथ पैर मुंह ठंडे पानी से धो कर साफ़ कर के सोए
ब्रह्मचर्यासन दस से पंद्रह मिनट सोने से पूर्व यदि किया जय तो स्वप्नदोष ठीक होता है
सोने से एक घंटा पहले मोबाइल से दूर हो जाए
नियमित दस पंद्रह मिनट सोने से पूर्व ब्रह्मचर्य व अध्यात्मिक पुस्तक अवश्य पड़े


Note : ये उपाय एक संयमी सदाचारी विद्यार्थी को अवश्य करना चाहिए बहुत सुगम ओर सरल हे इनके लाभ अनन्त हे



402 views15:19
ओपन / कमेंट
2022-05-08 09:27:14
986 views06:27
ओपन / कमेंट
2022-05-08 09:27:09
983 views06:27
ओपन / कमेंट
2022-05-07 20:14:55 आप अपने वीर्य को जो बाजार में नही मिलता ,यूँही छनभर के सुख के लिए न गवाये , इसे ब्रह्मचर्य पालन द्वारा अपने शरीर में संचित करिये , इसकी रक्षा करिये तब देखिये आपके जीवन में कैसे बदलाव आते है ।
दोस्तों भीड़ से अलग बनिए ,1% वाली वर्ग में आईये ,आज 99% युवा अपने जीवन शक्ति (वीर्य) को पानी के तरह बहा रहे है ।

लेकिन हमें उनके जैसा नही बनना है ।

आज राम कृष्ण हनुमान के सिंद्धात है अनिवार्य ।
1.1K views17:14
ओपन / कमेंट
2022-05-05 16:25:18 Welcome back अब रेगुलर पोस्ट आयेगे।
1.2K views13:25
ओपन / कमेंट
2022-03-27 03:41:38 सवाल : ओवरथिंकिन्ग को कैसे खत्म करे?

जवाब : ओवर थिंकिंग का मतलब पहले समझना जरूरी है ओवरथिंकिंग किसे कहा जाता है? ओवरथिंकिंग अर्थात किसी भी संकल्प को बार-बार क्रिएट करना चाहे वो नेगेटिव हो या पॉजिटिव लेकिन आज इसी ओवरथिंकिंग की वजह से हम परेशान इसलिए होते हैं क्योंकि हमारे मन को नेगेटिव सोचने की आदत है।

जब भी मन कोई भी एक नेगेटिव पॉइंट क्रिएट करता है तो उसके बारे में बार-बार सोचने लग जाता है जबकि इसके विपरीत अगर हम एक भी पॉजिटिव प्वाइंट क्रिएट कर लेते हैं तो खुशी महसूस करते हैं - जैसे किसी की मदद करना, किसी को सहयोग देना, किसी को दुआ देना, इन सब में हमारा मन खुश रहता है और ज्यादा सोचता नहीं है लेकिन इससे उल्टा अगर किसी की कोई नेगेटिव संस्कार हमारे सामने आ जाता है तो मन पॉजिटिव संकल्पों की तरह उतना ही सोचता है लेकिन पॉजिटिव संकल्पों में हमारा मन परेशान नहीं होता बल्कि खुश रहता है लेकिन नेगेटिव संकल्पों को एक बार क्रिएट करने से ही हमारा मन परेशान हो जाता है, जिसकी वजह से बहुत ज्यादा सोचने लग जाता है और उसको बार-बार सोचने से स्ट्रेस क्रिएट कर लेता है और यही स्ट्रेस से डिप्रेशन का रूप ले लेता है ।

इसलिए इन सब बीमारी से बचने के लिए एक ही समाधान है कि कोई भी सिचुएशन आए लेकिन हमें उसमें पहले पॉजिटिव क्रिएट करना पड़ेगा,धीरे धीरे पॉजिटिव सोचने की आदत हो जायेगी। हर एक सिचुएशन में एक नेगेटिव पॉइंट होता है और एक पॉजिटिव प्वाइंट होता है हमें उसी सिचुएशन में से चाहे कितनी भी गलत या विपरीत सिचुएशन क्यों ना हो उसका पॉजिटिव प्वाइंट निकाल लेना है और जैसे ही हम अपने मन को वह पॉजिटिव प्वाइंट देने लगते हैं तो हमारा मन उसी समय शांत होना शुरू हो जाता है ।


जिस तरह मान लीजिए किसी का एक लाख का नुकसान हुआ जब तक वह उस नुकसान के बारे में सोचता रहेगा वह परेशान रहेगा लेकिन इससे उल्टा यदि वह एक बार यह क्रिएट करता है कि शायद इसी में ही कोई भलाई थी या जिसका लेना देना था वह खत्म हुआ वैसे ही उसकी सोच चलना बंद हो जाती है । हम सब इस बात के अनुभवी हैं तो आज से ओवर थिंकिंग को खत्म करने के लिए हम हर सिचुएशन को लिखना शुरू करेंगे और उस विपरीत सिचुएशन में से हम उसमें से पॉजिटिव प्वाइंट अपने लिए निकालेंगे और उसी का ही बार बार चिंतन करेंगे फिर धीरे-धीरे मन को पॉजिटिव सोचने की आदत पड़ जाएगी। जिससे मन हल्का शांत और खुश रहने लगेगा और पॉजिटिव निकलने की बजाए फिर पॉजिटिव ही सोचने लगेगा।

Om shanti
God bless u

For more join
https://t.me/+TToWqjg83cYG15k3
3.1K viewsedited  00:41
ओपन / कमेंट
2022-03-24 10:26:32

ऐसे बचे काम वासना से


जिन जिन भाईयों को कामवासना उनको सतावे या सताने लगे तो
सबसे पहले झट से ओम् या अपने आराध्य का ध्यान कर लेवे
दूसरा ये कि मन में बहुत डर रक्खो कि यदि कामवासना में आकर थोड़ा भी वीर्य्य पात हो गया तो मैं चूसे गन्ने जैसा हो जावूंगा / जावूंगी।

इससे कभी थोड़ा भी वीर्य्य पात न होता।

और भाईयों यदि आप का कभी वीर्य्य पात हो भी जाए (स्वप्न दोष आदि रोग से।) तो दुखी, चिन्तित मत होया करो कभी भी, बस ये सोचते रहो कि मैं वीर्य्य वान् हूँ। और फिर तगड़ा संकल्प लेलो।

क्योंकि जो भाई जितना दुखी होगा, चिन्ता करेगा वो भाई का और वीर्य्य पात हो जाएगा क्योंकि नकारात्मक चिन्ता करने से स्वास्थ्य, वीर्य्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे वीर्य्य पात हो जाता है।

औषधि भी लोगे स्वप्न दोष रोकने के लिए और चिन्ता भी करोगे तो भी आपका स्वप्न दोष कभी पीछा न छोड़ेगा। चिन्ता मत करो और जब भी स्वप्न दोष हो जाए तो उसे भूल जाओ। आगे देखो। मन में प्रसन्नता रखलो और सकारात्मकता भी।

और मूत्र इन्द्रि का स्नान, धोना करते रहो ठण्डे जल से, धार लगाओ जल की तीन चार मिनटों तक।

स्वप्न दोष समाप्त हो जाएगा। साथ ही अन्य रोग जैसे नपुंसकता, शीघ्रपतन आदि रोग भी।@brahmacharya

मूत्र इन्द्रि को विना कारण के स्पर्श कभी मत करो। जब भी करो तो ओम् साथ साथ जपो।

साईकिल आदि मत चलाओ। पैदल जाओ आओ।साईकिल से अण्डकोष दब जाते हैं जिससे वीर्य्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।@brahmacharya साईकिल इस के लिए प्रसिद्ध है।

अण्डकोषों को सदा ठण्डा रखो क्योंकि वीर्य्य धातु ठण्डे वातावरण में ही सुरक्षित होता है। कस के रखने वाले कच्छे निक्कर आदि गर्मी पैदा कर वीर्य्य को हानि देते हैं। इसलिए तो पूर्वजों ने लंगोट का नियम बनाया था। ऋषियों ने लंगोट ही पहने। लंगोट पहनने के कई लाभ हैं। @brahmacharya

भोजन में तीखे भोजन जैसे तीखा सरसों तेल, प्याज, लशुन, लाल काली हरी मिर्चें, गर्म मसाले, चटपटे आदि भोजन नहीं लेने हैं। तीखे, तड़क भड़क चटपटे मसालेदार भोजन से वीर्य्य नाश, कामुकता बढ़ती है। साथ ही शरीर जलने लगता है।

पाचन शक्ति काम न करती है।
चेहरा खराब हो जाता है।
मूत्र इन्द्रि खराब हो जाती है।
खुजली, फोड़े, दाद, चकते हो जाते हैैं।

ब्रह्मचर्य के लिए कभी भी कोई भी नमक न खावे।@brahmacharya


आयुर्वेद में सब नमकों को हानि कारक कहा है और निषेध किया है। ईश्वर ने पहले से ही नमक रस सब सब्जी, दाल आदि में दिया है। जैसे फलों में पहले से ही मीठापन दिया है। क्या फलों में भी हम गुड़, खाण्ड मिलाते हैं ? नहीं। तो हम दाल सब्जी चावल में क्यों नमक मिलाएं ?

हाँ आयुर्वेद ने सैन्धव नमक को ठीक और उपयोगी बताया है परन्तु वो भी रोगी के लिए वरना सैन्धव नमक भी आयुर्वेद अनुसार ब्रह्मचर्य के लिए हानिकारक है।
@brahmacharya

आंसू, वायु(पाद।), छींक, मूत्र, मल कभी भी मत रोको। ये सब सीधे कर देने चाहिए। मल मूत्र रोकने से तो कब्ज, पेट में भयंकर बदबू हो जाती है, शरीर गर्मी भी हो जाती है। कब्ज से धातु नाश होता है। शिर दर्द भी होता है। देखने की शक्ति कम होती है। याद शक्ति कम होती है। पाचन ठीक न होता। रोग बवासीर, भगन्दर हो जाते हैं। आलस आता है। गैस बनती है जिससे चक्कर आते हैं। बलगम कभी निगलना नहीं है। उसे थूक देना है ब्रह्मचारी को।




ब्रह्मचर्य के लिए हास्य अत्यन्त् आवश्यक है। महाबलशाली ब्रह्मचारी राममूर्ति जी भी कहते थे कि हंसते रहना चाहिए। क्योंकि ये क्रिया रोगों का नाश करती है। सकारात्मकता भी बढ़ जाती है। चिन्तारहित हो जाते हैं।
@brahmacharya

ब्रह्मचारी साबुन का उपयोग न करे। करना हो तो गांववाले साबुन से स्नान ले। और जल ठण्डा ही लेवे। कुएँ का जल सबसे उत्तम् होता है।

स्नान समय ध्यान रहे कि शिर पर कभी भी गर्म जल न डाले क्योंकि गर्म जल शिर पर डालते रहने से सौ से अधिक रोग हो जाते हैं। साबुन कैमिकल वाले घातक होते हैं शरीर के लिए।



लकड़ी की राख, थोड़ी मिट्टी (जहाँ गन्दगी न हो।)को मिलाकर पानी से शरीर पर रगड़ के नहा ले। दुर्गन्ध भाग जाएगी और चमड़ी के रोग भी न होंगे।

ऐसे टिप्स रोजाना पढ़ने के लिए Join करे @brahmacharya

2.9K views07:26
ओपन / कमेंट