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अवचेतन मन को जागृत करने के नियम -बुक्स पढ़ना -बुद्वि ए | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

अवचेतन मन को जागृत करने के नियम



-बुक्स पढ़ना

-बुद्वि एक अवरोध है यह जल्दी से किसी बात को स्वीकार नहीं करती । कोई चीज़ लिखी हुई हो तो बुद्वि मान जाती है । इसलिए कोई नई चीज़ किसी को बताये तो लोग कहते है, ये कँहा लिखा हुआ है ।

-दुनियां का हर नियम बुक्स में लिखा हुआ है ।
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-पुस्तकें पढ़ते पढ़ते हम डॉक्टर, वकील, इंजिनियर या पंडित बन जाते है ।

- जिस भी क्षेत्र में बढ़ना चाहते है । उसकी बुक्स पढा करो । कम से कम महीने में एक नई बुक पढ़ो । अगर आप एक दिन में एक बुक पढे तो विश्व के टोप 10 लोगो में पहुंच जायेंगे ।

नियम-4

-कम से कम 10 हज़ार शुध्द संकल्प ।

-हमारे मन में 5 मुख्य और 5 सूक्ष्म विकारों के इलावा भी अनेक प्रकार के संकल्प, विकल्प चलते रहते हैं । जिनके कारण हमारे पर नाकारात्मकता का असर होता रहता है, हमारी सूक्ष्म शक्ति नष्ट होती रहती है और हम मन चाहे काम नहीं कर पाते ।

-किसी मोटर को चालू करने के लिये 240 बोल्ट बिजली की जरूरत होती है ।

-किसी मोबाइल, टी वी, रेडियो को चलाने लिये 12 बोल्ट विद्युत की जरूरत होती है ।

-शरीर को स्वस्थ रखने लिये शरीर का तापमान 98.4 होना चाहिये ।

-पानी को उबालने लिये 100 डिग्री का ताप चाहिये ।

-शरीर को शक्तिशाली रखने लिये प्रत्येक दिन 5-10 चपाती तथा दूध, चाय, फल और सब्जियों की जरूरत होती है ।

-ऐसे ही अवचेतन मन से काम लेने के लिये कम से कम 10000 शुद संकल्पों की हर रोज़ जरूरत होती ।

-अगर आप 20-25 पेज हर रोज़ अव्यक्त मुरली की बुक या कोई अन्य साकारात्मक बुक पढ़ते है तो उस से भी 10000 शब्द पूरे हो जाते है ।

-अगर आप अढाई घंटा योग लगाते है तब भी ये संकल्प पूरे हो जाते है ।

-अगर आप एक शब्द बाबा आप शांति के सागर है इसे रिपीट करते रहते है तो इस से भी वही बल बनता है ।

-जिस दिन किसी विकार का असर हो रहा हो, खुशी गुम हो रही हो, उत्साह न हो तो यह पाप कर्म के कारण नहीं बल्कि आप के शुध्द संकल्प दस हजार से कम रह गये है इसलिये हो रहा है ।

-चाहे आप कितने ही नामी ग्रामी है अगर 10 हजार से कम शुध्द संकल्प करेगें तो आप का पतन आरम्भ हो जायेगा ।

-अगर अज्ञानी भी दस हजार शुध्द संकल्प हर रोज़ मन में लोरी की तरह गाते रहे तो उन का भी अवचेतन मन कमाल करने लगेगा ।

-ये नियम यूनिवर्सल है ।

-संसार में दुःख अशांति का मूल कारण यही है कि कोई इस नियम को जानता नहीं । धार्मिक लोग भी पाठ कर लेते है जिसके शुध्द शब्द 10 हज़ार से कम बनते है । इसलिये ये लोग भी दुखी रहते है, भिड़ते रहते है, पतित कार्य करने लगते है ।

-जैसे हम हजार काम छोड़ कर भोजन ज़रूर खाते है, ऐसे ही हमें हर रोज़ चाहे कुछ भी हो जायें अपने लिये 10 हजार शुद संकल्पों का बल ज़रूर इकठ्ठा करना है । इस से हमारा चेतन मन हमारे बस में रहेगा और हमारे सभी कार्य ऑटोमेटिक होने लगेंगे ।

ओम शांति