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The Poem: तुझे एक बार फिर से आगे बढ़ना होगा... नही हुआ exa | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

The Poem:
तुझे एक बार फिर से आगे बढ़ना होगा
...



नही हुआ exam में selection
चाहे नही मिली life में perfection
तो क्या,,
तुझे चलना होगा
एक बार फिर से
तुझे आगे बढ़ना होगा...


मायूस हुए है माता पिता,
दुनिया ने चाहे उपहास किया
तो क्या
तुझे ये सब सहना होगा
एक बार फिर से तुझे
आगे बढ़ना होगा...


बहनों का भाई नही बन पाया,
न प्रेमिका का सच्चा प्रेमी कहलाया
तो क्या
तुझे ये भी स्वीकारना होगा
एक बार फिर से तुझे
आगे बढ़ना होगा...


बदलना चाहता,हूँ,
दुनिया को
पर खुद को ही
बदल नही पा रहा हूं
तो क्या
कड़वा है पर ये सच तुझे सहना होगा
एक बार फिर से  आगे बढ़ना होगा...

    
चारो ओर डर का
घनघोर अंधेरा  हो,
या फिर निराशा
और बेबसी ने तुझको घेरा हो,
तो क्या
तुझे "अनन्त साहस" से उठना होगा
एक बार फिर तुझे आगे बढ़ना होगा...


कोशिशों ने भले तेरी
माकूल हाल नही पाया
लाख प्रयास करके भी
खुद को तूने बेहाल पाया
तो क्या
तुझे नही अब थकना होगा
एक बार फिर से आगे बढ़ना होगा...


प्रार्थनाएं भी अनसुनी जब लगने लगे,
अरदास भी फीकी सी जब पड़ने लगे,
तो क्या
तूझे धीरज रखना होगा
एक बार फिर से आगे बढ़ना होगा...


दुखड़ा जब तेरा
कोई समझ न पाएगा
सबकुछ जानकर भी
तू एक गलती दोहराएगा
तो क्या
तुझे खुद कि नज़रों में ही उठना होगा
एक बार प्रयास फिर तुम्हे करना होगा...


जब लगे कि जीना है नही अब मुझको
जब बेमौत मरने का ख्याल आएगा
तो क्या
तुझे ज़िंदगी के लिये लड़ना होगा
अपने सपनों के लिये झगड़ना होगा...
एक बार फिर प्रयास तुझे करना होगा...



ज़िंदगी जब अपने लिये
जीने का मन न हो,
तो अपनो के लिये तुझे जीना होगा
जब दुःख सहते सहते दिल थम जाए,,,
तब भी उस दर्द से
भावी पीढ़ी कि खुशियो के खातिर
तुझे लड़ना होगा
हाँ बाबा
तुझे एक बार फिर से
आगे बढ़ना होगा...


न हो निराश ये सोचकर
कि तू अधमरी लाश है,,
है उस परमात्मा का अंश तू
यही सच्चा , और अमर विश्वास है...


न हो शंकित ये समझकर
कि हज़ारो प्रयास तेरे विफल हुये
मत भूल कि चट्टान में छेद भी
एक एक बूंद के गिरते जल से हुए,


रख यकीन बस अभी खुद पर तु,
ये सच है,तेरा संघर्ष भी रंग लाएगा,
अवश्य आएगा,वो एक दिन
जब तू अपने हर सन्कल्प को
सत्य ही पायेगा
जिस दिन तेरी कथनी और करनी का
भेद भी मिट जाएगा,ये सच है
वह दिन तेरे पुरुषार्थ से ज़रूर आएगा...


खुद का ही नही तब तू,दिलबर
सबकी खुशियों का रहबर बन जाएगा,
ये सच है, वो दिन ज़रूर आएगा
वो दिन ज़रूर आएगा...


इसलिये
और एक मजबूत प्रयास
अब तुझे करना होगा
एक बार फिर  से तुम्हें

आगे बढ़ना होगा...

आगे बढ़ना होगा...



                धन्यवाद



शिक्षा:-
प्यारे साथियों यह कविता भारत देश के हर युवा को समर्पित है। हर मानव को समर्पित है। हर एक विद्यार्थी को समर्पित है:-

यदि आप exam में पास नही हुए है
यदि आप खुद को बदलना चाहते है,

यदि आप ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते है, पर बुरी आदतों के सामने गिर जाते है
यदि आप आपके पेशे में सफल नही है

यदि आप अपने सामाजिक रिश्तों को निभा नही पा रहे है
चाहे आप संयमित विवाहित जीवन नही जी रहे है,

यदि आप ज़िंदगी से अब थक चुके है
चाहे आप किसी भी चिंता या तनाव में है। तो यह कविता आज और अभी से आपको व आने वाली पीढ़ियों को निराशा से आशा की ओर बढ़ने के लिये प्रेरित करती रहेंगी..


सम्भव है कि आपका एक share किसी
डूबते कि नाव का सहारा बन जाये,
क्योंकि हम सभी किसी न किसी  प्रेरणा की तलाश में ज़रूर रहते है। और सुन्दर प्रेरणाएँ ही एक साधारण जीवन को असाधारण बना सकती है,


So Our टास्क is:-

यदि साथियों जीवन में आपने जीतने की ज़िद ठान रखी है तो ठोकर खाकर गिरने के बाद निराशा और हताशा में टाइम खराब मत कीजिये। बल्कि जितना जल्दी हो शांत मन से RESTART कीजिये। यदि आपने कुछ करने के लिये इरादा कर ही रखा है तो फिर यह नई शुरुआत आज नही तो कल करनी पड़ेगी
। तो फिर अभी से क्यों नही?


So ओनली single Share For Positive वाइब्स...