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हर पंथ, हर देश, हर समाज, हर रंग, और हर जाति में माँ का दर्जा ऊ | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

हर पंथ, हर देश, हर समाज, हर रंग, और हर जाति में माँ का दर्जा ऊंचा ही होता है, हमें जन्म देने वाली माँ के त्याग बलिदान हेतु जीवन अर्पित कीजिये। यह भाव अनन्त शक्ति प्रदान करेगा...

नास्ति मात्र समा छाया
नास्ति मात्रसमा गति: ।
नास्ति मात्रसम्म्म त्राणम
नास्ति मात्र सम प्रपा।।


अर्थात माता समान कोई छाया नही, न ही कोई आश्रय या सुरक्षा है। माता समान कोई जीवनदाता भी नही है


हम सभी की अनमोल माता के नाम समर्पित कविता:-

माँ है तो हम है
वरना वजूद क्या हमारा
ज़िन्दा है जो आज हम
तो ये भी करम है तुम्हारा


   क्या बिना इस
   माँ शब्द के
   कोई चरित्र
   अब तक बन पाया है(2)
   एक यही तो है

   जिन्होंने हमे
   मिटने से बचाया है

   चमकेंगे ज़रूर हम
   एक दिन सितारे बनकर

   मगर भूलेंगे न कभी
   कि हमारा आसमा

   तो सिर्फ आप है माँ

   बस आप है माँ


      धन्यवाद माँ

माध्यम:(कृतांत अनन्त नीरज)



शिक्षा:- रामकृष्ण जी व विवेकानंद जी ने पृरे विश्व को मातृमय माना है। यह पवित्र भाव ही युवाओं के लिये  संयम को सहज कर देता है
(Distractions को मिटा देता है


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