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The Poem: 'विराट षड्यंत्र' TERROR in the form of LOVE राष्ट् | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

The Poem: "विराट षड्यंत्र"
TERROR in the form of LOVE
राष्ट्र की एकता- अखंडता और हर बेटी की सुरक्षा में समर्पित...!


यहाँ दोस्ती से शुरुआत होती है
कुछ झूठी पर मीठी बात होती है
नज़दीकिया बढ़ाने के लिये
साथमे गुज़री कई रात होती है

दिमाग एकतरफ गज़ब खेलता है
दूजी ओर दिल कायल होता है
चलता है शिकारी चाल प्यार की
किसी मासूम का यौवन फिर घायल होता है

छलिया बड़ा चालाक है
चिकनी चुपड़ी बातों में उसको
बस तुमसे प्यार जताना होता है
करके साथ खाना पीना
ड्रग्स से सिर्फ सुलाना होता है

भगवान पर जिन्हें विश्वास नही
माटीके पुतलों पर वे यकीन करते है
शराब और नादानी में डूबकर
अज्ञात कैमरे की आड़ में
फिर राते हसीन करते है

एक गलती बस छोटी सी
उनको भारी पड़ती है
आधुनिकता के जोश में
वो होश पर अपने जब थप्पड़ जड़ती है

क्यूँ भूल जाते है नादान
जिस्म की चाह बस
प्रेम की पवित्रता का आधार नही
जो नोचेगा तुम्हें विवाह से पहले
क्या बसेगा फिर तुम्हारा संसार कहीं?

दवाएं नशीली खिलाकर
अस्मत से उनकी लिपटा जाता है
तिल तिल तड़पाने हेतु निजता को उनकी
चलचित्रों में समेटा जाता है

दुःख उन मासूमों का कितना भारी है
एक नही प्यारे, बहने ऐसी बहुत सारी है
धोखेबाज़ों पर करके अंधविश्वास
अपनी आबरू जिन्होंने इंच इंच  वारी है

पहली मुलाकात में कभी जन्नत के
हसीन सपने सजाए थे जिसने
आज खुद की हरकतों से वो हारी है
बचा सको तो बचा लो उनको
पँखे पर झूल सकती है
क्यूंकि बडी मुश्किल में बेचारी है

सीधे पेड़ जल्दी कटते है
अब बात समझ आती है
"शस्त्र और शास्त्र"जिनके बस का नही
निर्मम बलि उनकी ही दी जाती है

अब इस पर दुःख करे या गुस्सा
कुछ समझ नही आता
मगर प्रयोग हो उचित शब्दों का
तो भरोसा है व्यर्थ नही जाता..

नाराज़गी उनसे नही, माँ बाप से है
क्यूँ उन्हें "धर्म-संस्कृति" का अपनी ज्ञान नही
आदर्श अदभुत है हिन्दू जीवन शैली में
क्यूँ फिर बच्चों को उनके
"राम कृष्ण" पर अभिमान नही

इन प्रश्नों पर चिंतन नियमित सबको करना है
ज़िन्दा होकर भी जीते जी नही अब मरना है
सतर्क सजग और सुरक्षित रहो प्यारे
सुमिरन ईश्वर का भी तुमको
इसीलिये हर दिन करना है

"वसुधैव कुटुंम्बकम"पर चलने वाली
जड़ों पर अपनी हमें मान करना है
सर्वेभवन्तुसुखिन: का गीत सीखाने वाले
आदर्शो का गर्व से गुणगान  करना है

सभी का अपना होता विश्वास है
वही ईश्वर उसके जीने की आस है
यकीन करो तो कदम कदम पर
वे सदा आपके संरक्षक है
My LiFe MY Choice का विरोध नही बहना
हर कदम पर बैठे यहाँ भक्षक है

"भगवदगीता" के पन्ने अब खोलना उचित होगा
'निष्काम कर्मयोग' तब हमें विदित होगा
वाणी "रामायण" की मर्यादा हमको सिखाएगी
अधिकारों के साथ कर्तव्य बहुत ज़रूरी है
यह पाठ वो पढ़ाएगी

प्रेम तो स्वयम ही परम धर्म है
नही आधार इसका धर्मान्तरण है
तुम और मैं का भेद मिटाने वाली
यह पवित्र अभिव्यक्ति तो
आत्मा का रूपांतरण है

ह्रदय बहनो का होता है कोमल
अब उन्हें वज्र बनकर चलना है
यह एक जीवन सिर्फ आपका नही  है
तीन पीढ़ियों को इससे सम्भलना है

महत्व तुम्हारा कभी कम था ही नही
लक्ष्य इसीलिये सिर्फ तुम होती हो
तुम ही हो "माँ दुर्गा और भवानी "
सिर्फ अज्ञानता की वजह से रोती हो


नही हो तुम सिर्फ मांस का कोमल पिंड
इस चमड़ी से परे तुम पवित्रता की ज्वाला हो
कौन करेगा तुम्हारे शील को खंडित

आपके हाथों में जब यह विवेक रूपी भाला हो

माता- पिता की भी हो राजकुमारी
और अपने भैया की कलाई पर
आप ही तो राखी हो
मन फिसले जब तुम्हारा
किसी की शहद लगी बातों पर
यही पंक्तियां तब तुम्हारी"साखी"हो..
यही पंक्तियां तब तुम्हारी"साखी"हो..


     धन्यवाद
Inspired By:THE KERALA STORY

शिक्षा:- यह कविता किसी समुदाय विशेष के विरोध में नही है। बल्कि यह समर्थक है
राष्ट्र की एकता की और  विश्व का कल्याण चाहने वाली अद्वितीय भारतीय संस्कृति की।

साथ ही यह कविता पक्षधर है आतंकवाद के नए रूप के प्रति सामाजिक जागरूकता की तथा  प्रत्येक बेटी की निजता की  सुरक्षा की


देश की प्रत्येक बेटी का जीवन और उनके निर्णय सिर्फ उन्हें प्रभावित नही करते है। बल्कि यह तीन पीढ़ियों को प्रभावित करते है। जिसमें उनके माता- पिता, वे खुद और विवाह के पश्चात नई पीढ़ी शामिल है...
अतः इस विचार पर स्वतंत्रता के साथ चिंतन किया जाना चाहिए...

साथ ही यह कविता एक अलार्म है उन सभी माता पिता के लिये जो अपनी आधारभूत भारतीय संस्कृति, संस्कार , कल्याणकारी ग्रन्थ के स्वाध्यायआद्यात्मिक पथ से पूरी तरह विमुख हो चुके है। क्योंकि वे इन अपराधों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते है...

अतः
इस दिशा में हमें  सामुहिक और व्यक्तिगत रूप से मजबूत प्रयास की आवश्यकता है । प्रेम एक अच्छी बात है, लेकिन सतर्कता बुरी बात नही।



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अतः सजग रहे, सुरक्षित रहें। तथा अपनी जड़ो से जुड़े रहे
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