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The Poem मैंने तो अब चलना सीख लिया मैंने खुद से मिलना सीख | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

The Poem
मैंने तो अब चलना सीख लिया



मैंने खुद से मिलना सीख लिया
प्यार भरी  बाते करना शुरू किया
यही तो प्रमाण है
की मैंने तो अब चलना सीख लिया..

चोट खाकर दुःख तो
अब भी होता है
तमाशा करने के लिये
दिल अब न रोता है
मैंने आंसू पीना सीख लिया
हां यही सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया..


लक्ष्य से भटकने का
मलाल तो होता है
मायूस होता है दिल
ये हाल भी होता है
पर खुद की तकलीफें सहना
सीख लिया
हा यह सच है
मैने तो अब चलना सीख लिया..

निराशा आती तो है
पर उसे रुकना होता है
आशा के सूरज को
फिर उगना होता है...

कुछ ऐसे ही अल्फाज़ो में
दर्द को दवा बनाना सीख लिया
हा ये सच है,
मैंने तो अब चलना सीख लिया..


ज़िद्दी हूँ न ,ज़िद पवित्रता की
कैसे छोड़ सकता हूँ
दलदल में भी कमल का सपना
कैसे तोड़ सकता हूँ
पर थोड़ा धीरज रखना भी
सीख लिया
हा बाबा अब
मैंने तो चलना सीख लिया...


नही अब गिरकर हताश होता हूँ,,
उठकर फिर नया प्रयास करता हूँ
अब डर को हराना सीख लिया
यही तो सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया..


रूठता हूँ मगर न नाराज़ होता हूँ,
करता हूँ बादे और खुद का
हमराज़ होता हूँ
अब मैंने खुदसे नज़रे मिलाना
सीख लिया
हा यही  सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया...



जीतूंगा पूरी दुनिया को
यही आस रखता हूँ
मानव हूँ न हर मानव से
प्यार करता हूँ

अब  गलती पे अपनी
झुकना सीख लिया
हा यह सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया..


असमंजस जब भी है
कथनी और करनी में
पर कमी नही विश्वास की
ज्वाला और अग्नि में
चाहे जो हो
मुस्कुराना सीख लिया
हा बाबा मैंने  तो
अब चलना सीख लिया
अब चलना सीख लिया

        धन्यवाद



शिक्षा :-जीवन मे असफलताओं से घबराइये नही। जब जीवन मे आपके अनुकूल माहौल न हो। तब हिम्मत मत हारिए...

चाहे स्थिति जो हो खुद पर से विश्वास मत छोड़िए। आप सूरज की तरह स्थिर रहिए, समस्या रूपी काले बादलों को हटना ही होगा...

Positivity  की chain बनाये रखने के लिये
ओनली ONE शेयर Nothing More...