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मात पिता से प्यार माता पिता की सेवा करके, पुत्र धर्म निभाना व | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

मात पिता से प्यार

माता पिता की सेवा करके, पुत्र धर्म निभाना
वृद्धाश्रम में भेजकर, खुद पर पाप न चढ़ाना

जिनके कारण तुम, दुनिया में जीवन पाते हो
प्यार से पाले जाकर, लायक बनाए जाते हो

कर्ज तुम पर है इसका, जो तुमको चुकाना है
निस्वार्थ भाव से, सेवा करके फर्ज निभाना है

भूल कभी न जाना, कितना तुम्हें प्यार किया
जो कुछ भी तुमने चाहा, वो तुम्हें लाकर दिया

तेरा ख्याल सदा रखा, अपना सुख त्यागकर
तेरे चैन की नींद के लिए, रातें काटी जागकर

तेरे सुख के लिए थे, कुछ भी करने को तैयार
याद कर बीते दिन तूँ, मिला था कितना प्यार

माता पिता के प्रति यदि, फर्ज नहीं निभाएगा
तूँ भी बुड्ढा होगा, फिर समय तेरा भी आएगा

सुख चैन की नींद कभी, जीवन भर न पाएगा
तेरा पाप तेरे ही सामने, पुनः दोहराया जाएगा

तेरे बच्चे तुझको भी, वृद्धाश्रम छोड़ने जाएंगे
तेरी तरह ही तेरे बच्चे, तेरा ही कर्म दोहराएंगे

आंखों से लुढ़कते आंसू, रोक नहीं तूँ पाएगा
दुखी मन से आखिर, तूँ भी वृद्धाश्रम जाएगा

खुद को ये समझा ले, समय करता है पुकार
दिल से फर्ज निभा, करके मात पिता से प्यार


मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर