जीवन मे चाहे,, कितनी ही बार क्यों न गिर जाओ | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
जीवन मे चाहे,, कितनी ही बार
क्यों न गिर जाओ
अगर आपका विश्वास,,
,,अटूट है,,
कि आप ज़रूर जीतोगे
तो यकीन मानिए,,,,
विजय श्री
इस ब्रह्मांड में चाहे कहीं भी
क्यों न हो
उसे
आपका दामन थामना ही होगा
यह अटल है
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