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प्रेम और स्पर्श -माँ और बेटे  में मन  मूटाव  हो जाये तो वे | Ayurveda Yoga Meditation आयुर्वेद

प्रेम और स्पर्श

-माँ और बेटे  में मन  मूटाव  हो जाये तो वे एक दूसरे से बोलना  बंद कर देते हैं ।

-वास्तव में माँ सोचती रहती  है, बेटा आ कर मेरे पैरों हाथ लगाये ।

-बेटा सोचता है माँ आ कर सिर पर हाथ क्यों नहीं फेरती है ।

-यह सही है कि छोटों  का फर्ज बनता  है  कि वह बडो के आगे झुके  ।

-परंतु झगड़ों  को ख़त्म करने लिये अगर बेटा नहीं आ रहा है तो  माँ को जा कर  सिर पर हाथ फेर देना चाहिये । सब कूछ लौट आयेगा ।

-सास बहू का झगड़ा  हो जाये तो दोनो अलग थलग  रहती हैं  । अगर सास ज्यादा अकड़ू है तो बहू को  उसके पास बैठ कर चाय  पीनी चाहिये ।

 अगर बहू नहीं समझ पा रही है तो सास अपना कप उठाये और बहू के पास बैठ कर चाय  पीये ।  इस से सारे  विवाद ख़त्म हो जायेगें ।

-ऐसे ही घर  में अपने विपरीत साथी  की  पहल  का इंतजार ना करें । आप पहल कर दो । सब कुछ  ठीक हो  जायेगा । दूरिया नजदीकियों में बदल  जायगी 

-सच्चा  प्रेम

-प्रेम का अर्थ सिर्फ एक दूसरे को निहारना  नहीं है ।

-प्रेम का अर्थ है एक ही दिशा  में चलना ।

-अक्सर लोग प्रेम को बंधन मानते हैं  ।

-प्रेम और बंधन दोनो विपरीत हैं  ।

-प्रेम में बंधन  नहीं होता । जो बंधन बनाता है तो  वह प्रेम नहीं होता ।

-प्रेम हमे मुक्त रखता  है । जिसे  हम प्रेम करते हैं  उसे अपनी जायदाद मत समझिए ।

-परमात्म प्रेम सब से उतम प्रेम है ।

- स्नेही व्यक्ति के साथ साथ मन में  परमात्मा या इष्ट की छवि को देखते रहें उन  पर ध्यान लगाये रखे , स्नेही व्यक्ति कभी धोखा नही देगा !

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