प्रेम और स्पर्श -माँ और बेटे में मन मूटाव हो जाये तो वे एक दूसरे से बोलना बंद कर देते हैं । -वास्तव में माँ सोचती रहती है, बेटा आ कर मेरे पैरों हाथ लगाये । -बेटा सोचता है माँ आ कर सिर पर हाथ क्यों नहीं फेरती है । -यह सही है कि छोटों का फर्ज बनता है कि वह बडो के आगे झुके । -परंतु झगड़ों को ख़त्म करने लिये अगर बेटा नहीं आ रहा है तो माँ को जा कर सिर पर हाथ फेर देना चाहिये । सब कूछ लौट आयेगा । -सास बहू का झगड़ा हो जाये तो दोनो अलग थलग रहती हैं । अगर सास ज्यादा अकड़ू है तो बहू को उसके पास बैठ कर चाय पीनी चाहिये । अगर बहू नहीं समझ पा रही है तो सास अपना कप उठाये और बहू के पास बैठ कर चाय पीये । इस से सारे विवाद ख़त्म हो जायेगें । -ऐसे ही घर में अपने विपरीत साथी की पहल का इंतजार ना करें । आप पहल कर दो । सब कुछ ठीक हो जायेगा । दूरिया नजदीकियों में बदल जायगी -सच्चा प्रेम -प्रेम का अर्थ सिर्फ एक दूसरे को निहारना नहीं है । -प्रेम का अर्थ है एक ही दिशा में चलना । -अक्सर लोग प्रेम को बंधन मानते हैं । -प्रेम और बंधन दोनो विपरीत हैं । -प्रेम में बंधन नहीं होता । जो बंधन बनाता है तो वह प्रेम नहीं होता । -प्रेम हमे मुक्त रखता है । जिसे हम प्रेम करते हैं उसे अपनी जायदाद मत समझिए । -परमात्म प्रेम सब से उतम प्रेम है । - स्नेही व्यक्ति के साथ साथ मन में परमात्मा या इष्ट की छवि को देखते रहें उन पर ध्यान लगाये रखे , स्नेही व्यक्ति कभी धोखा नही देगा ! पूरी जानकारी के लिए टेलीग्राम पर जुड़े https://t.me/+RCBOO24o4PS1h2mj 13.4K views00:43