Get Mystery Box with random crypto!

'महाशिवरात्रि शिव अवतरण का यादगार पर्व है ' महाशिवरात्रि के | Ayurveda Yoga Meditation आयुर्वेद

"महाशिवरात्रि शिव अवतरण का यादगार पर्व है "

महाशिवरात्रि के दिन भक्त लोग उपवास और व्रत रखते हैं। शिव मंदिर में जाकर शिव के ऊपर तीन पत्ती का बेलपत्र चढ़ाते, अक और धतुरा का विषारी फूल भी चढ़ाते हैं। बहुत श्रद्धा भाव से पूजन और रात्रि जागरण करते हैं।

शिवलिंग के ऊपर कलश से बूंद बूंद पानी हमेशा टपकता रहता है। शिवलिंग के ऊपर 3 लकीर और बीच में बिंदी होती है। शंकर ऊपर कोई कोने में शिव का ध्यान करते हैं। शिव का वाहन नंदी दिखाते हैं। और नंदी के दोनों सिंग के बीच में से शिवलिंग दिखाई देता है।

शिव कब प्रसन्न होते हैं? और

भक्तों की शिव भोलानाथ वरदानो से झोली कब भरते हैं?


इन सब बातों का रहस्य जानिए


कलयुग में जब मनुष्य देह अभिमान के कारण भ्रष्ट कर्म करता है और दुख अशांति लड़ाई, झगड़े बेकारी, महंगाई और बीमारी अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है । मनुष्य के भ्रष्टाचारी आचरण के कारण अत्याचार पापाचार और असुरी कर्म इस धरती पर बढ़ जाते हैं पांच तत्व भी प्रदूषित और तमो प्रधान होने के कारण मनुष्य जीवन में दुख ,अशांति,चिंता भय और बीमारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है।


मनुष्य स्वयं को और ईश्वर पिता को भूल जाता है। और दुख में पुकारता है चिल्लाता है भगवान की तरफ आस लगाकर ऐसे समय पर हम सभी आत्माओं के पीता परमपिता परमात्मा शिव कल्याणकारी मनुष्य सृष्टि के रचयिता दुखहर्ता, सुखकर्ता, पतित पावन, सर्व आत्माओके सद्गति दाता।


गीता के वचनों के अनुसार यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। उस अनुसार वह इस धरती पर आते हैं परमात्मा शिव निराकार और अजन्मा होने के कारण वह अवतरित होते हैं मनुष्य के तन में । उनका नाम प्रजापिता ब्रह्मा रखते है। परमात्मा को अपना शरीर ना होने के कारण ब्रह्मा के तन में सवार होते हैं इसका यादगार ,रथ माना नंदी दर्शाया गया है। उनके भ्रुकुटी के बीच में परमात्मा आकर उनके मुख द्वारा स्वयं का परिचय देते हैं। इसका यादगार नंदी दिखाया है।


परमात्मा शिव महा ज्योति सद्गति के लिए सत्य ज्ञान मुरली रोज सुनाते हैं श्रीमद् देते हैं जिससे मनुष्य के मन के अंदर के विषय,विकारों रूपी कचरा साफ हो जाता है। इसका यादगार शिवलिंग के ऊपर बूंद बूंद पानी टपकता हुआ दर्शाया है।


राजयोग सिखा कर काम क्रोध लोभ आदि विष के समान विकारों को भस्म कर मनुष्य आत्माओं को पावन फूल के समान देवता के समान बनाते हैं इसीलिए शिवलिंग के अक और धतूरा का जहरीला फुल उनके ऊपर चढ़ाते हैं।


शिवलिंग के ऊपर तीन लकीर और बीच में बिंदी यह दर्शाता है कि, परमात्मा शिव - ब्रह्मा, विष्णु, और शंकर के भी रचयिता है। इसलिए तीन पत्ती का बेलपत्र चढ़ाते हैं। शिव रचयिता है और शंकर देवता, रचना है। दोनों अलग है। शिव मंदिर कहते हैं शंकर मंदिर कभी नहीं कहते। शंकर को अलग से ऊपर एक कोने में शिव का ध्यान करते हुए दिखाते हैं।



पतित भ्रष्टाचारी मनुष्य के नाश करने के लिए कोई नदी या पानी नहीं कर सकती परमात्मा शिव की मत पर चलने के लिए और उनके कार्य में मददगार बनने के लिए हमे पवित्र रहने का व्रत लेना पड़ता है।इसका यादगार भक्त लोग 1 दिन का व्रत रखते हैं।

जागरण अर्थात देहभान में आकर अज्ञान रूपी अंधकार वश कर्म करने से सुजाग होना है। इसका यादगार भक्त लोग रात्रि जागरण करते हैं।


परमात्मा का नाम है शिव।

परमात्मा का रूप है ज्योति स्वरूप बिंदु रूप।

परमात्मा का रहने का स्थान , परमधाम ,शांति धाम ,मुक्तिधाम है।

परमात्मा का काम है अधर्म का विनाश और सत्य धर्म की स्थापना कर सबको मुक्ति और जीवन मुक्ति का वर्सा देना।

परमात्मा शिव पिता ने हमे आत्मा का परिचय परमात्मा का सत्य परिचय और सृष्टि के आदि मध्य अंत का परिचय देकर श्रेष्ठ कर्म का ज्ञान देकर, लाखों लोगों को पावन बना कर देवता समान खुशहाल बना रहे हैं अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र में जाकर संपर्क करें।