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* त्रिदोषों का संतुलन * *त्रिदोषों-वात, पित्त, कफ की असमानता | 🌹आश्रम स्वास्थ्य सेवा 🌹

* त्रिदोषों का संतुलन *

*त्रिदोषों-वात, पित्त, कफ की असमानता के परिणाम स्वरूप ही रोगों का जन्म होता है। इनके संतुलन के लिए विभिन्न रोगों का प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता हैः*

* पित्तदोषः शरीर में गर्मी बढ़ जाये तो उसके संतुलन के लिए नीले रंग का प्रकाश या दवा देने से लाभ होगा।*

* कफदोषः इसके संतुलन के लिए लाल रंग का प्रकाश या दवा देने से लाभ होगा।*

* वात दोषः इससे रक्त दूषित होता है। अतः इसके संतुलन के लिए हरे रंग की रोशनी या दवा लेने से लाभ होगा।*

*शरीर के बाहर के अंगों पर रंगीन काँच द्वारा प्रकाश दिया जा सकता है। गर्म एवं लालिमायुक्त सूजन पर नीले रंग की रोशनी से तथा तीव्र ज्वर में नीले रंग के पानी की पट्टियाँ रखने से शांति मिलती है।*

*छाती एवं श्वास की बीमारी में नारंगी रंग की खाली बॉटल को हाथों से बंद करके, तीन-चार मिनट तक धूप में रखकर और फिर मुँह अथवा नाक द्वारा चार्ज की हुई हवा को अंदर खींचने से लाभ होता है।*

*नाक की सूजन एवं गर्मी से हुई सर्दी-जुकाम में नीली बॉटल में चार्ज की गयी हवा नाक द्वारा खींचने से लाभ होता है।*




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