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* सूर्य किरण चिकित्सा * *सूर्यकिरणों में सात रंग होते हैं जो | 🌹आश्रम स्वास्थ्य सेवा 🌹

* सूर्य किरण चिकित्सा *

*सूर्यकिरणों में सात रंग होते हैं जो कि शरीर के विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक हैं। सूर्यकिरणों में शक्ति का अथाह भण्डार छिपा हुआ है इसीलिए बीमारी के समय सूर्य की किरणों में बैठकर पशु अपनी बीमारी जल्दी मिटा लेते हैं, जबकि मनुष्य कृत्रिम दवाओं की गुलामी करके अपना स्वास्थ्य और अधिक बिगाड़ लेता है। यदि वह चाहे तो सूर्यकिरण जैसी प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से शीघ्र ही आरोग्यलाभ कर सकता है।*

*इसीलिए प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में सूर्यपूजा होती आ रही है। आरोग्यप्रदायक होने के साथ ही सूर्य सबके जीवन-रक्षक भी हैं इसीलिए उन्हें भगवान की संज्ञा दी गई है। सूर्य को सप्तरश्मि कहा गया है जिससे पता चलता है कि भारतवासियों का ज्ञान कितना उच्च कोटि का था। वैज्ञानिकों ने तो अब स्वीकारा लेकिन हमारे ऋषि-मुनियों ने तो आदि काल से ही भगवान सूर्य को जल अर्पण करके नमस्कार का विधान रचा है तथा आज भी इसका जनमानस में प्रचार-प्रसार हो रहा है।*

*प्रातःकाल उदित भगवान भास्कर के सम्मुख खड़े होकर एक शुद्ध पात्र में जल भरकर दोनों हाथ से पात्र को ऊँचा उठाकर जब सूर्य भगवान को जल अर्पण किया जाता है तब उस जलधारा को पार करती हुई सूर्यकिरणें हमारे सिर से पैरों तक पड़ती हैं। इस क्रिया से हमें स्वतः ही सूर्यकिरणयुक्त जलचिकित्सा का लाभ मिल जाता है।*

*हमारे ऋषियों ने मंत्र एवं व्यायाम सहित सूर्यनमस्कार की एक प्रणाली विकसित की है जिसमें सूर्योपासना के साथ-साथ आसन की क्रियाएँ भी हो जाती हैं। सूर्यनमस्कार के संबंध में ऐसी मान्यता भी प्रचलित है कि जिसने यह विधि कर ली उसने सारे आसन कर लिए। सूर्यनमस्कार की प्रत्येक मुद्रा में निम्नलिखित एक-एक मंत्र का उच्चारण करना चाहिएः*

*ॐ मित्राय नमः। ॐ रवये नमः। ॐ मरीचये नमः। ॐ सूर्याय नमः। ॐ आदित्याय नमः। ॐ भानवे नमः। ॐ सवित्रे नमः। ॐ खगाय नमः। ॐ अर्काय नमः। ॐ पूष्णे नमः। ॐ हिरण्यगर्भाय नमः। ॐ भास्कराय नमः। ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः।*

*सूर्यनमस्कार के बाद पुनः आँखें मूँदकर, सूर्यनारायण का प्रकाश नाभि पर पड़े इस प्रकार खड़े होकर ऐसा संकल्प करें- "सूर्य देवता का नीलवर्ण मेरी नाभि में प्रवेश कर रहा है। मेरे शरीर में सूर्यनारायण की तेजोमय शक्ति का संचार हो रहा है।* *आरोग्यप्रदाता भगवान की भास्कर की जीवनपोषक रश्मियों से मेरे रोम-रोम में रोगप्रतिकारक क्षमता का अतुलित संचार हो रहा है।"*

*प्रतिदिन सूर्यस्नान, सूर्यनमस्कार तथा सूर्योपासना करने वाले का जीवन भी भगवान भास्कर के प्रचण्ड तेज के समुज्जवल तथा तमसानाशक बनता है।*

* सूर्यरश्मियों के रंग *

*सूर्य की सात किरणों में नीला, लाल एवं हरा रंग प्रमुख है। बाकी के जामुनी, आसमानी, पीला, नारंगी ये चार रंग ऊपर के तीन रंगों का ही मिश्रण है।*

*नीला-जामुनी-आसमानीः ठंडक एवं शान्ति देता है।*

*लाल-पीला-नारंगीः गर्मी एवं उत्तेजना देता है।*

*हरा रंगः ऊपर के रंगों के बीच संतुलन बनाये रखता है एवं रक्तशोधक है।*




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