* प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा उपचार * *दुर्घटना एवं महामारी को | 🌹आश्रम स्वास्थ्य सेवा 🌹
* प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा उपचार *
*दुर्घटना एवं महामारी को छोड़कर प्रत्येक रोग की उत्पत्ति का कारण शरीर में विजातीय दूषित द्रव्यों का जमा होना है और इन दूषित द्रव्यों के शरीर में जमा होने का कारण है रोगी द्वारा प्रकृति के विरुद्ध खान-पान एवं रहन-सहन। इस बात की पुष्टि करते हुए ऋषि चरक ने कहा हैः "समस्त रोगों का कारण कुपित हुआ मल है और उसके प्रकोप का कारण अनुचित आहार-विहार है।"*
*अनुचित आहार-विहार से पाचनक्रिया बिगड़ जाती है और यदि पाचनक्रिया ठीक न हो तो मल पूर्ण रूप से शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और वही मल धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर बीमारी का रूप ले लेता है।*
*जिनकी जठराग्नि मंद है, खान-पान अनुचित है, जो व्यायाम एवं उचित विश्राम नहीं करते उनके शरीर में विजातीय द्रव्य अधिक बनते हैं। मल-मूत्र, पसीने आदि के द्वारा जब पूर्ण रूप से ये विजातीय द्रव्य बाहर नहीं निकल पाते और शरीर के जिस अंग में जमा होने लगते हैं उसकी कार्यप्रणाली खराब हो जाती है। परिणामस्वरूप उससे संबंधित रोग उत्पन्न हो जाते हैं। रोगों के नाम चाहे अलग-अलग हों किन्तु सबका मूल कारण कुपित मल ही है।*
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