उपनिषद दहाड़ कर कहते हैं: नायमात्मा बलहीनेन लभ्यो ~ मुण्डक उपनिषद 3.2.4 बलहीन व्यक्ति के लिए नहीं है आत्मा ये तो हम जानते ही हैं दुर्बलों को इंसान सहारा नहीं देता अब इतना और जान लीजिए कि दुर्बलों को भगवान भी सहारा नहीं देता दुर्बलता से बड़ा अपराध दूसरा नहीं कैसे भी रहो, कमज़ोर मत रहो जो उपनिषदों के साथ है वो कभी कमज़ोर नहीं रह सकता 157 views02:56