*अशान्तस्य कुतः सुखम्* अशांत मनुष्य के लिए सुख कहाँ! ~ भगवद्गीता 2.66 सुख के पीछे भागते-भागते पूरा जीवन बीत जाता है लेकिन सुख हमेशा दूर ही नज़र आता है *कारण?* श्रीकृष्ण स्पष्ट बताते हैं: शांति बिना सुख नहीं मिल सकता *जीवन में सुख को नहीं, शांति को साधना है* यदि भीतर की महाभारत में शत्रु को हराना है 226 views02:00