सुखमापतितं सेव्यं दु:खमापतितं तथा। चक्रवत् परिवर्तन्ते दु:खानि च सुखानि च।।* जीवन में आने वाले सुख का आनंद ले, साथ ही दु:ख को भी स्वीकार करें क्योंकि सुख और दु:ख तो एक के बाद एक चक्रवत आते रहते है यही नियति है । 371 views03:40