अपने आस पास के लोगो को देखकर एक बात समझ आती है की ज्यादातर माम | Aasan hai !!
अपने आस पास के लोगो को देखकर एक बात समझ आती है की ज्यादातर मामलों में पैसे की कमी दुख का कारण नहीं है, बल्कि पैसे का सही मैनेजमेंट न होना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है। अगर इंसान के पास 50 हजार है तो वो किश्तों से 2 लाख का मोबाइल लेता है। अगर 5 लाख है तो किश्तों से 20 लाख की गाड़ी लेता है, और ब्याज के ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है की निकलना मुश्किल प्रतीत होता है। हालांकि ये सिर्फ एक चीज पर लागू हो तो फिर भी ठीक है लेकिन इतना सब होने के बाद भी इंसान बार बार इसी चीज को दोहराता है। अंततः खुद को गले तक कर्ज के फंसा हुआ पाता है। कर्ज बहुत जरूरत हो तो लेना उचित है, लेकिन व्यर्थ शौक पूरे करने के लिए कर्ज लेना अंततः बड़ी मुसीबत का कारण बनता है। आप क्या सोचते हो इस बारे में, जवाब दे कर बताए। मैंने रिप्लाई का ऑप्शन ऑन किया हुआ है यहां।