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#13 【छंद】 छंद की परिभाषा – ‘छंद’ शब्द का मुख्य अर्थ ‘बंधन’ | हिंदी सहित्य / Hindi Sahitya

#13 【छंद】
छंद की परिभाषा –

‘छंद’ शब्द का मुख्य अर्थ ‘बंधन’ है | गति, तुक, मात्रा, विराम आदि नियमो पर आधारित काव्य रचना को छंद कहा जाता है |

छंद के प्रकार- मुख्यत: छंद के निम्न भेद है –
(i) वर्णिक छंद – काव्य में वर्णो की निश्चित गणना के आधार पर रचे गए छंद वर्णिक छंद कहे जाते हैं | उदाहरण – अनुष्टुप्, मालिनी , शिखरिणी , घनाक्षरी आदि |
(ii) मात्रिक छंद –मात्रिक छंद उसे कहते है जिसमें प्रत्येक चरण में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है | उदाहरण – दोहा ,सोरठा ,रोला , चौपाई आदि |
(iii) मुक्त छंद – जिस रचना में वर्ण और मात्रा का कोई बंधन नहीं होता है, उसे मुक्त छंद कहते है |

मात्रा – वर्णो के उच्चारण में जो समय लगता है, उसे मात्रा कहते है |

इसके दो भेद हैं-
(i) हृस्व- हृस्व वर्ण के उच्चारण में कम समय लगता है | इसकी एक मात्रा होती है| इसे लघु भी कहा जाता है | लघु का संकेत ‘|’ है |
अ,इ,उ,ऋ लघु के उदहरण है |

(ii‌) दीर्घ – दीर्घ वर्ण में हृस्व का दुगुना समय लगता है | इसकी दो मात्रा होती है |इसे गुरु भी कहा जाता है | दीर्घ वर्ण का संकेत ‘s’ है |
आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ दीर्घ के उदाहरण है |

1.सोरठा छंद की परिभाषा –

यह दोहे का उल्टा होता है | सोरठा के पहले व तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण मे 13-13 मात्राएँ होती हैं |

सोरठा छंद का उदाहरण –
i- s l l l l l l s l
जो सुमिरत सिधि होइ, = 11 मात्राएँ
l l s l l l l l l l l l
गननायक करिवर बदन | = 13 मात्राएँ
l l l l s l l s l
करहु अनुग्रह सोय , = 11 मात्राएँ
s l s l l l l l l l l
बुद्धि-रासि सुभ-गुन-सदन | =13 मात्राएँ

स्पष्टीकरण – इस छंद के पहले व तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ और दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ हैं |इसलिए सोरठा छंद है |

ii. रहिमन मोहि न सुहाय ,अमी पियावत मान बिनु |
बरु विष देय बुलाय , मान सहित मरिबो भलो ||
iii. लिखकर लोहित लेख, डूब गया दिनमणि अहा |
व्योम सिंघु सखि देख, तारक बुद्बुद दे रहा ||

2. रोला छंद की परीभाषा –

रोला सम मात्रिक छंद है | इसमें चार चरण होते है तथा प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती है | 11 और 13 मात्राओं पर यति होती है |

रोला छंद का उदाहरण –

s l s l l l s l s l l l l l l l s l l
कोउ पापिह पँचत्व, प्राप्त सुनि जमगन धावत |=24 मात्राएँ
l l l l s l l s l l l l s s l l s l l
बनि बनि बावन बीर, बढ्त चौचंद मचावत || =24 मात्राएँ
s l l s s s l l l l s s l l s l l
पै तकि ताकी लोथ , त्रिपथगा के तट लावत |=24 मात्राएँ
s s s l l s l s l s l l l l s l l
नौ व्दै ग्यारह होत, तीन पाँचहिं बिसरावत || =24 मात्राएँ

स्पष्टीकरण –
इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ हैं | 11 तथा 13 मात्राओं पर यति हैं | इस कारण यहाँ रोला छंद है |
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