निरंतर तीसरी ला नीना घटना
सामान्य अवस्था में अर्थात् अल नीनो और ला नीना न होने की स्थिति में व्यापारिक पवनें उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की सतह पर पूर्व से पश्चिम की ओर चलती हैं, जो गर्म नम पवन और गर्म सतह के जल को पश्चिमी प्रशांत की ओर लाती हैं तथा मध्य प्रशांत महासागर को अपेक्षाकृत ठंडा रखती हैं।
प्रिलिम्स के लिये:
ला नीना, अल नीनो, अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO), भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)।
मेन्स के लिये:
भारत पर अल नीनो और ला नीना का प्रभाव।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो (BOM) ने भविष्यवाणी की थी कि ला नीना की लगातार तीसरी घटना हो सकती है जिससे विभिन्न देशों में असामान्य मौसमी प्रभाव पड़ सकता है।
वर्ष 2022 ला नीना की एक विस्तारित अवधि है, ऐसा वर्ष 1950 के दशक (जब इस घटना को रिकॉर्ड करना शुरू किया गया था) के बाद पहली बार हुआ है। वर्ष 1973-76 और वर्ष 1998-2001 लगातार ला नीना वर्ष थे।
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