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नवीनतम संदेश

2024-05-10 13:33:21 राजस्थान के महत्वपूर्ण आयोग के स्थापना वर्ष

1. राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड -2002


2. (RAJSICO) राजसीको -1961


3. (RIICO) रीको -1980


4.(RUDA) रूडा -1995


5.(REDA) रेडा -1985

6. RFC - 1955

7. RCDF - 1977


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2024-05-10 06:45:18 [Special RAS Mains exam]

प्रागैतिहासिक काल से 18 वीं शताब्दी के अवसान तक राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण सोपान तथा प्रमुख राजवंश
अतिलघुतरात्मक (15 से 20 शब्द)

प्र 1. बागौर के बारे में बताइए ?

उत्तर- बागौर कोठारी नदी (भीलवाड़ा) में स्थित प्राचीन सभ्यता है जहाँ से मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल के साक्ष्य और कृषि तथा पशुपालन के सबसे प्राचीन साक्ष्य मिलते है।

प्र 2. रणकपुर प्रशस्ति ?

उत्तर-महाराणा कुंभा के समय धरनक शाह द्वारा 1439 ई में स्थापित प्रशस्ति जिसमें बप्पा और रावल को अलग अलग व्यक्ति बताया गया है तथा कुम्भा की प्रारंभिक विजयों का पता चलता है।

प्र 3. चंपानेर समझौता से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- महाराणा कुंभा के विरुद्ध मालवा व गुजरात के सुल्तानों का 1456 ईस्वी में चंपानेर एक समझौता था। समझौते के अनुसार दोनों की संयुक्त सेना मेवाड विजय कर मेवाड़ को आपस में बांट लेंगे, लेकिन कुंभा ने उन्हें विपुल कर दिया।

प्र 4. खानवा युद्ध के बारे में बताइए।

उत्तर- राणा सांगा एवं बाबर के मध्य 17 मार्च 1527 ईस्वी को खानवा (भरतपुर) युद्ध हुआ। तोपखाने तथा सलहदी तंवर के विश्वासघात के कारण बाबर विजयी हुआ तथा भारत में मुगल वंश स्थापित करने में सफल रहा। यह पहला एवं अंतिम अवसर था जब सभी राजपूत शासक एकजुट होकर शत्रु के विरुद्ध लड़े।

प्र 5. सपादलक्ष ?

उत्तर- बिजौलिया शिलालेख के अनुसार सांभर का प्राचीन नाम सपादलक्ष था जहां 551 ईस्वी में वासुदेव चहमान ने चौहान राज्य की स्थापना की। उसने अहिच्छत्रपुर (नागौर) को राजधानी बनाया था तथा सांभर झील का निर्माण करवाया।

प्र 6. नागभट्ट प्रथम ?

उत्तर- यह आठवीं सदी में गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रतापी शासक था जिसका दरबार ‘नागावलोक का दरबार’ कहलाता था। जिसमें तत्कालीन समय के सभी राजपूत वंश यथा गुहिल, चौहान, परमार, राठौड़, चालुक्य आदि उसके सामंत की हैसियत से रहते थे।


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2024-05-09 16:33:04 राज्य में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का आधार वर्ष (1999-2000)

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) - 2012

औद्योगिक श्रमिको (CPI-IW) - 2016

कृषि श्रमिको के लिए (CPI-AL) - 1986-87

ग्रामीण श्रमिकों के लिए (CPI-RL) - 1986-87

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2024-05-09 11:28:37 RAS Special

नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)

जन्म - 9 मई, 1540 ई.

जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान

पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.

पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी

माता - राणी जीवत कँवर जी

राज्य - मेवाड़

शासन काल - 1568–1597ई.

शासन अवधि - 29 वर्ष

वंश - सुर्यवंश

राजवंश - सिसोदिया

राजघराना - राजपूताना

धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म

युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध

राजधानी - उदयपुर

पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह

उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह

अन्य जानकारी -

महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,जिसका नाम 'चेतक' था।

राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि
राणा प्रताप का जन्म हुआ।

महाराणा का नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती
है।

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-

महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।

जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर
आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़
प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |

महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|

कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |

अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी| लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे|
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी
की सूंड लगाई जाती थी।यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे |

मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |

महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी
की कहानी:

मित्रो आप सब ने महाराणा
प्रताप के घोड़े चेतक के बारे
में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी
भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख
अल- बदायुनी, जो मुगलों
की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

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2024-05-09 05:07:38
RAS भर्ती 2024

लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद जारी हो सकता है आरएएस (RAS)2024 का विज्ञापन

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2024-05-09 04:33:49 सबसे महत्वपूर्ण pdf

अवचेतन मन की शक्ति के चमत्कार
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2024-05-08 17:58:48 राजस्थान में स्थित प्रमुख पैनारमा

पैनारमा :– सिर से पैर तक ( आदमकद ) प्रतिमा

हाड़ी रानी पैनोरमा - सलूम्बर, डूंगरपुर

राजा भर्तृहरि पैनोरमा - अलवर

गुरु जम्मेश्वर पैनोरमा - पीपासर, नागौर

तेजाजी पैनोरमा - खरनाल, नागौर

करणी माता पैनोरमा - देशनोक, बीकानेर

निम्बकाचार्य पैनोरमा सलेमाबाद, अजमेर

महाकवि माघ एवं गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त पैनोरमा - भीनमाल, जालौर

झाला मन्ना पैनोरमा – बड़ी सादड़ी, चित्तौड़गढ़

पन्नाधाय पैनोरमा - कमेरी, राजसमंद

कालीबाई पैनोरमा – माण्डवा, डूंगरपुर

स्वतंत्रता संग्राम पैनोरमा - आउवा, पाली

अली बक्श पैनोरमा – मुण्डावर, अलवर

रूपाजी-कृपाजी पैनारमा - गोविंदपुरा, बेगूँ, भीलवाड़ा

संत सुंदरदास पैनोरमा – दौसा

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2024-05-08 12:10:16 राजस्थान की प्रमुख चित्र शैलियां

मेवाड़ चित्र शैली.... कमलचंद, हीरानंद, नूरुद्दीन साहिबदीन, मनोहर, कृपाराम उमरा जीवा भेरूराम

चावंड शैली....
नसरुद्दीन [ढोला मारू चित्र, रागमला चित्र (1605)

नाथद्वारा शैली
.... घासीराम, नारायण, उदयराम, चतुर्भुज ... कमला और इलायची

देवगढ़ चित्र शैली.... चौखा केवला, बैजनाथ, बगता,

जोधपुर शैली... नारायण दास भाटी शिवदास भाटी अमर दास भाटी छज्जू दास भाटी,

बीकानेर शैली... अली रजा हसन शाह मोहम्मद चंदूलाल,मुन्ना लाल

किशनगढ़ शैली.... मोर ध्वज, निहालचंद, अमीर चंद नानकराम, लाड़लीदास, सीताराम, बदन सिंह

कोटा शैली .... डालू और लच्छीराम

जयपुर शैली... चिमना, हुकमा, उदय, मोहम्मद शाह

आमेर शैली/ढूंढाड शैली... मुन्नलाल, हुकुमचंद, मुरली, पुष्पदत

अजमेर शैली... साहिबा

अलवर शैली.... बलदेव और गुलाम अली

उनियारा शैली.... भीमा, काशीराम, मीर बक्श, बख्ता,

कोटा शैली .... डालू और लच्छीराम

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2024-05-07 18:15:42 प्रमुख धार्मिक मेले

1. फूलडोल मेला- शाहपुरा (भीलवाड़ा)- चेत्र कृश्ण प्रथम से पंचमी।

2. घोटिया अम्बा- बाँसवाड़ा- चैत्र अमावस्या

3. कैला देवी- करौली- चैत्र शुक्ल एकम् से दशमी

4. श्री महावीर जी करौली

5. सालासर बालाजी- सूजानगढ़ (चुरू)- चैत्र पूर्णिमा

6. कल्पवृक्ष मेला- मांगलियावास (अजमेर)- हरियाली अमावस्य

7. बुड्ढा जोहड़ मेला- गंगानगर

8. कजली तीज का मेला- बूंदी

9. खाटु श्याम का मेला- सीकर- फाल्गुन कृष्ण एकादशी

10. डिग्गी कल्याण जी का मालपुरा (टोंक)

11. भर्तृहरि मेला- अलवर- भाद्रपद शक्ल अष्टमी

12. भूरिया बाबा का मेला- गौतमेश्वर (सिरोही)

13. सवाई भोज- आंसीद (भीलवाड़ा)

14. सांवरिया जी का मेला- मण्डफिया (चित्तौडगढ़)

15. दशहरा कोटा

16. अन्नकूट मेला- नाथ द्वारा (राजसंमद)

17. पुष्कर- अजमेर- कार्तिक पूर्णिमा

18. बेणेसर- नवाटापुरा (डूंगरपुर) - माघ पूर्णिमा

19. शिवरात्री मेला- शिवाड़ (सवाईमाधोपुर)- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी

20. कपिल मूनि का मेला- कोलायत (बीकानेर) - कार्तिक पूर्णिमा

21. साहबा मेला- चूरू- सिक्कों का सबसे बड़ा मेला

22. बादशाह मेला- ब्यावर (अजमेर) चैत्र कृष्ण प्रथम

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2024-05-07 13:48:17 RPSC : 2nd Grade भर्ती (संस्कृत शिक्षा) 2024 केटेगरी वाइज & विषयवार कुल आवेदनों की संख्या।

SST : पद 65
फॉर्म : 1,74,855

Science : पद 47
फॉर्म : 87,339

Maths : पद 68
फॉर्म : 77,871

Hindi : पद 39
फॉर्म : 1,31,358

English : पद 49
फॉर्म : 40,939

Sanskrit : पद 79
फॉर्म : 49,110
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